Thursday, August 6, 2020

Class 10 (State Govt. / राज्य सरकार) Most Questions in Hindi

(Text Book Questions + most Questions)

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1.Chapter 5 (democracy/लोकतंत्र) Most Questions In Hindi 

2. Chapter - 6 (Union Government / केंद्र सरकार) Most Questions in Hindi 

Text Book Questions

अतिलघुतरात्मक प्रश्न ( Very Short Questions )

Question 1.   जनसंख्या में वृद्धि के बावजूद राज्य विधानमंडल की सदस्य संख्या कब तक स्थिर रहेगी ?
Answer :-       जनसंख्या में वृद्धि के बावजूद राज्य विधानमंडल की सदस्य संख्या तब तक स्थिर रहेगी ,जब तक सविधान में संशोधन नहीं होता |

Question 2.   भारतीय संघ के किन राज्यों में दो सदनों वाला विधानमंडल है ?
Answer :-        भारतीय संघ के 7 राज्यों में दो सदनों वाला विधानमंडल है
                        7 राज्य :- उतर प्रदेश , जम्मू कश्मीर , महाराष्ट्र , बिहार , आंध्र प्रदेश , तेलंगाना , कर्नाटक

Question 3.   विधानपरिषद के कितने सदस्यों को राज्यपाल मनोनीत करता है ?
Answer :-       विधानपरिषद की कुल सदस्य संख्या के लगभग 1/6 सदस्य राज्यपाल मनोनीत करता है |

Question 4.   राज्य की विधानसभा और विधानपरिषद के मुख्य पदाधिकारियों के पदनाम बताइए ?
Answer :-       राज्य की विधानसभा के मुख्य पदाधिकारी :- अध्यक्ष और उपाध्यक्ष होते है |
                        राज्य की विधानपरिषद के मुख्य पदाधिकारी :- सभापति और उपसभापति |

Question 5.   राज्य की मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पारित करने का अधिकार राज्य विधानमंडल के किस सदन को नहीं है ?
Answer :-       राज्य की मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पारित करने का अधिकार विधानपरिषद को नहीं है |

Question 6.   अध्यापको का निर्वाचक मंडल विधानपरिषद में कितने सदस्यों का निर्वाचन करता है
Answer :-        अध्यापको का निर्वाचक मंडल विधानपरिषद के 1 /12 भाग को चुनता है |

Question 7.   राज्यपाल किसकी इच्छापर्यन्त अपने पद पर बना रहता है ?
Answer :-       राज्यपाल राष्ट्रपति की इच्छापर्यन्त अपने पद पर बना रहता है |

Question 8.   सविधान के अनुसार राज्य की कार्यपालिका शक्ति किसमे निहित होती है ?
Answer :-       सविधान के अनुसार राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित है |

Question 9.   राज्य के विधानमंडल के सत्रावसान में राज्यपाल विशेष परिस्थितियों में जो आदेश जारी करता है , उसे क्या कहते है ?
Answer :-       उसे अध्यादेश कहते है |

Question 10   पद - ग्रहण के पूर्व मुख्यमंत्री को राज्यपाल के के समक्ष किस आशय की शपथ लेनी होती है ?
Answer :-       दो शपथ लेनी होती है :-
                      (1 ) अपने पद के कर्तव्य पालन की ,
                      (2 ) गोपनीयता की |

Question 11.   उच्च न्यायालय के गठन का प्रावधान सविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत किया गया है ?
Answer :-       अनुछेद 214 के अंतर्गत |

Question 12 .   उच्च न्यायालय का न्यायाधीश अपना त्याग पत्र किसे सम्बोधित कर देता है ?
Answer :-       राष्ट्रपति को सम्बोधित कर |

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न ( Very Short Questions )

Question 13 .    राज्य विधानसभा का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है ?
Answer :-        5 वर्ष का |

Question 14 .   वर्तमान में भारत में कितने उच्च न्यायालय है ?
Answer :-        24 उच्च न्यायालय है |

Question 15 .    राज्यपाल और मंत्रिपरिषद के बीच कौन सम्पर्क स्थापित करता है ?
Answer :-        मुख्यमंत्री |

Question 16 .   उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या कौन निर्धारित करता है ?
Answer :-        उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या राष्ट्रपति करता है |

Question 17.   राज्य का वैधानिक प्रधान कौन होता है ?
Answer :-        राज्यपाल |

Question 18.   राज्य का वास्तविक प्रधान कौन होता है ?
Answer :-        मुख्यमंत्री |

➡️Short Questions ( लघुत्तरात्मक प्रश्न )

★ प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमण्डल होती है | जो राज्यपाल और कुछ राज्यों में दो सदनों से और कुछ राज्यों में एक सदन से मिलकर बनी होती है |
विधानमण्डल = राज्यपाल + विधानसभा / विधानपरिषद ( कोई एक ) या विधानसभा + विधानपरिषद ( दोनों )
विधानसभा ( प्रथम सदन ) और विधानपरिषद ( दूसरा या उच्च सदन ) कहलाता है |

Question 1. किन्ही तीन ऐसी परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए जिससे किसी विधानसभा के सदस्य की सदस्यता का अंत हो जाता है ?
Answer :- किसी विधानसभा के सदस्य की सदस्यता का अंत निम्न में से किसी भी परिस्थिति में हो सकता है |
        (1) यदि कोई व्यक्ति एक साथ विधानसभा और विधानपरिषद दोनों सदनों में ही निर्वाचित हो जाता है।,तो उसे एक सदन से त्याग पत्र देना होगा और उस सदन की सदस्यता का अंत हो जाता है |
        (2) यदि कोई व्यक्ति एक साथ विधमण्डल और संसद दोनों में ही निर्वाचित हो जाता है। , तो उसे एक पद से त्याग पत्र देना होगा और उस पद की सदस्यता का अंत हो जाता है |
        (3) यदि कोई व्यक्ति विधानसभा के किसी सदन की बैठक में सदन की अनुमति के बिना लगातार 60 दिन तक अनुपस्थित रहता है , तो व्यक्ति की सदस्यता का अंत हो जाता है |

Question 2. विधानसभा के अध्यक्ष के कार्यो को संक्षेप में समझाइए ?
Answer :- विधानसभा के अध्यक्ष के कार्यो और अधिकार निम्न है |
                (1) वह विधानसभा की बैठकों की अध्यक्षता करता है |
                (2) सदन में शांति और व्यवस्था बनाए रखना अध्यक्ष का मुख्य कार्य है |
                (3) सदन के सदस्यों को सदन में भाषण देने की अनुमति अध्यक्ष देता है |
                (4)सदन के नेता के परामर्श से अध्यक्ष सदन की कार्यवाही का क्रम निश्चित करने का कार्य करता है |
                (5) अध्यक्ष प्रश्नो को स्वीकार करने और नियम विरुद्ध होने पर अस्वीकार करने का कार्य करता है |
                (6) अध्यक्ष मतदान के बाद परिणाम घोषित करने का कार्य करता है |
                (7) कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं , इसका निर्णय करने का कार्य भी अध्यक्ष करता है |
                (8) दल - बदल संबंधी याचिकाओं पर निर्णय देने का कार्य करता है |

Question 3. मान लीजिए आप विधानसभा के अध्यक्ष हो और आपको सदन के सदस्यगण हटाना चाहते है | इसके लिए उन्हें जिस विधि का अनुसरण करना होगा , उसे संक्षेप में समझाइए ?
Answer :- अगर विधानसभा के अध्यक्ष को सदन के सदस्यगण हटाना चाहते है तो अध्यक्ष को विधानसभा के सदस्य के बहुमत से हटाया जा सकता है | सदन के सदस्यों के बहुमत से अध्यक्ष को हटाने के लिए एक प्रस्ताव पारित करना होता है | प्रस्ताव की सुचना अध्यक्ष को 14 दिन पहले देनी होगी | अध्यक्ष अपना त्याग पत्र उपाध्यक्ष को देता है |

Question 4. यदि राजस्थान में विधानपरिषद की स्थापना करनी हो , तो क्या विधि अपनानी होगी ?
Answer :- यदि राजस्थान में विधानपरिषद की स्थापना करनी हो , तो उस राज्य की विधानसभा के पास यह अधिकार होता है कि वह उस राज्य की विधानपरिषद की स्थापना और समाप्ति के लिए संसद में सिफारिश कर सकती है | विधानसभा अपनी पूरी सदस्य संख्या के बहुमत से तथा उपस्थित व् मतदान करने वाले सदस्यों की संख्या के 2 /3 बहुमत से प्रस्ताव पारित कर देती है प्रस्ताव पारित होने के बाद संसद विधानपरिषद की स्थापना और समाप्ति के लिए कानून बनाती है |

Question 5. राज्यपाल पद के उमीदवार में कौन -कौन सी योग्यताएँ आवश्यक है ?
Answer :- (1) वह भारत का नागरिक हो |
(2) उसकी आयु 35 वर्ष से अधिक हो |

Question 6. राज्यपाल की स्वविवेकीय शक्तियाँ बताइए ?
Answer :- निम्नलिखित परिस्थितियों में राज्यपाल अपनी स्वविवेकिय शक्तियों का प्रयोग करता है |

        (1) विशेष परिस्थितियों में मुख्यमंत्री का चयन करना
        (2) मंत्रिपरिषद को अपदस्थ करना
        (3) विधानसभा का अधिवेशन बुलाना
        (4) विधानसभा का विघटन करना
        (5) मुख्यमंत्री से सुचना प्राप्त करना
        (6)राष्ट्रपति को राज्य की सवैधानिक स्थिति के सम्बन्ध में रिपोर्ट भेजना
        (7) राज्य विधानमंडल द्वारा पारित किसी विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजना
        (8) विधानमण्डल द्वारा पारित किसी विधेयक को स्वीकृति न देकर उसे पुनर्विचार के लिए लौटा देना
        (9) किसी अध्यादेश को प्र्स्तुत करने से पूर्व राष्ट्रपति से अनुदेश की याचना करना |

Question 7. राज्य मंत्रिपरिषद का गठन किस प्रकार होता है ?
Answer :- राज्य की मंत्रिपरिषद के गठन का पहला चरण मुख्यमंत्री की नियुक्ति करना है | मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा की जाती है | राज्यपाल राज्य की विधानसभा में बहुमत दल के नेता को मुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त करता है | इसके बाद मुख्यमंत्री अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है | मुख्यमंत्री मंत्रियों के नाम और विभागों की सूचि राज्यपाल को देता है मंत्रिपरिषद में कितने सदस्य होंगे , यह निर्णय भी मुख्यमंत्री ही करता है | मंत्रिपरिषद का गठन करना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार माना जाता है |

Question 8. राज्य मंत्रिपरिषद की कार्यप्रणाली को संक्षेप में समझाइए ?
Answer :- सविधान में राज्यपाल को शासन संबंधी जो शक्तियाँ दी गई है , व्यवहार में उन सब शक्तियों का उपयोग मंत्रिपरिषद करती है | शासन संबंधी सभी निर्णय मंत्रिपरिषद के द्वारा लिए जाते है | राज्य मंत्रिपरिषद निम्नलिखित कार्य करती है |

(1) शासन की नीति - निर्धारित करना - मंत्रिपरिषद का सबसे महत्वपूर्ण कार्य शासन की नीति - निर्धारित करना होता है | चाहे कोई भी विभाग हो , ग्रह विभाग हो या शिक्षा , स्वास्थ्य , कृषि विभाग हो शासन की नीति - निर्धारित मंत्रिपरिषद करती है | नीती - निर्धारित करने के बाद उसे कार्य रूप में परिणित करने का काम भी मंत्रिपरिषद ही करती है
(2) उच्च पदों पर नियुक्ति के सम्बन्ध में राज्यपाल को परामर्श :- सविधान के अनुसार राज्यपाल उच्च पदों पर अधिकारियो की नियुक्ति करता है लेकिन व्यवहार में राज्यपाल के द्वारा जो नियुक्तियाँ की जाती है वो मंत्रिपरिषद के परामर्श के आधार पर की जाती है |
(3) विधानमण्डल में शासन का प्रतिनिधित्व :- मंत्रिपरिषद के मंत्रीगण विधानमंडल में शासन का प्रतिनिधित्व करते है | मंत्रीगण विधानमंडल ( विधानपरिषद + विधानसभा ) में उपस्थित होकर सदस्यों के प्रश्नो का तथा आलोचको का उतर देते है |
(4) कानून निर्माण का कार्यक्रम निश्चित करना :- विधानमण्डल में कौन -कौन से विधेयक और किस क्रम में प्रस्तुत किये जायेगे , ये तय करने का काम मंत्रिपरिषद करती है |
(5) बजट तैयार करवाना :- मंत्रिपरिषद के द्वारा निश्चित की गई नीति के आधार पर बजट तैयार करवाया जाता है| बजट को पारित करवाने का उत्तरदायित्व भी मंत्रिपरिषद का ही होता है |

Question 9. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति हेतु कोई दो योग्यताएँ बताइए ?
Answer :- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति हेतु कोई योग्यताएँ निम्न है |

        (1) वह भारत का नागरिक होना चाहिए |
        (2) लगातार 10 वर्षो तक किसी भी उच्च न्यायालय में वकालत की होनी चाहिए |
                या
        लगातार 10 वर्षो तक आप किसी न्यायिक पद पर होने चाहिए |

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न ( short Questions / लघुतरात्मक प्रश्न )

Question 10. भारत के सविधान के अनुसार विधानसभा के सदस्यों की अधिकतम और न्यूनतम संख्या क्या है ?
Answer :- भारत के सविधान के अनुच्छेद 170 के अनुसार विधानसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 500 और न्यूनतम संख्या 60 बताई है |

Question 11. विधानसभा के सदस्यों में कौन -कौन सी योग्यताएँ होनी चाहिए ?
Answer :-         (1) वह भारत का नागरिक होना चाहिए ,
        (2 ) उसकी आयु कम से कम 25 वर्ष होनी चाहिए ,
        (3) वह पहले से भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए ,
        (4) वह पागल या दिवालिया घोषित न किया गया हो ,
        (5) वह संसद या राज्य के विधानमण्डल द्वारा निर्धारित शर्तो की पूर्ति करता हो |

Question 12. विधानसभा के कार्यकाल और इसकी समाप्ति के बारे में बताइए ?
Answer :- विधानसभान का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है | राज्यपाल के द्वारा विधानसभा का कार्यकाल समय से पूर्व भी समाप्त किया जा सकता है | मान लीजिए कि जब विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने वाला हो और उससे पहले ही यदि संकटकाल की घोषणा हो जाये , तो ऐसी स्थिति में संसद विधि द्वारा विधानसभा का कार्यकाल एक बार में 1 वर्ष के लिए बढ़ा देती है और संकटकाल के समाप्त होने के बाद 6 महीने के अंदर ही पुनः चुनाव करवाने होंगे |

Question 13. सविधान के अनुसार विधानपरिषद के सदस्यों की अधिकतम और न्यूनतम संख्या क्या है |
Answer :- सविधान के अनुसार विधानपरिषद के सदस्यों की संख्या उसकी विधानसभा के सदस्यों की संख्या के 1/ 3 से अधिक नहीं होगी , और साथ ही सदस्य संख्या 40 से कम भी नहीं होगी |

Question 13 . विधानसभा के कितने सदस्यों का निर्वाचन व कितने सदस्यों का मनोनयन किया जाता है और किस पद्धति के द्वारा किया जाता है ?
Answer :- विधानसभा के लगभग 5/6 सदस्यों का निर्वाचन व शेष लगभग 1/6 सदस्यों का मनोनयन किया जाता है | विधानसभा के ये सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते है | चुनाव निम्न पद्धति के द्वारा होंगे |
        (1) आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति ,
        (2) एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा होंगे |

Question 14. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के कार्यकाल और कार्यकाल की समाप्ति का बारे में बताइए ?
Answer :- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के कार्यकाल के लिए न्यायाधीश की आयु 62 वर्ष निर्धारित की गई है | न्यायाधीश को संसद के दोनों सदनों के 2/3 बहुमत से पारित प्रस्ताव के बाद राष्ट्रपति के आदेश के द्वारा हटाया जा सकता है |

➡️निबन्धात्मक प्रश्न ( Long Questions )

Question 1. विधानसभा के गठन , अधिकारों और कार्यो का विवेचना कीजिए ?
Answer :- विधानसभा विधानमण्डल का प्रथम और लोकप्रिय सदन है | विधानसभा के सदस्यों से मिलकर विधानसभा का गठन किया जाता है | सविधान में राज्य की विधानसभा के सदस्यों की अधिकतम और न्यूनतम सदस्य संख्या निश्चित की गई है | अनुच्छेद 170 अनुसार राज्य की विधानसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 500 और न्यूनतम संख्या 60 होगी |

☛विधानसभा की अधिकार और कार्य :-

                                 Legislative powers and functions

(1) विधायी शक्ति :- विधानमण्डल ( विधानसभा + विधानपरिषद ) को उन सभी विषयो पर कानून निर्माण की शक्ति प्राप्त है जो राज्य सूची और समवर्ती सूची में दिए गए है | साधारण विधेयक राज्य विधानमण्डल के किसी भी सदन में प्रस्तावित किये जा सकते है लेकिन अंतिम शक्ति विधानसभा को ही प्राप्त है |

(2) वित्तीय शक्ति :- विधानसभा को राज्य के धन पर पूर्ण नियंत्रण रखने की शक्ति प्राप्त है | विधानसभा की स्वीकृति के बाद ही शासन के द्वारा आय -व्यय से संबंधित कोई कार्य किया जा सकता है | विधानमण्डल से विनियोग विधेयक पास होने के बाद ही सरकार संचित निधि से व्यय हेतु धन निकाल सकती है |

(3) प्रशासनिक शक्ति :- विधानसभा के पास प्रशासनिक शक्ति होती है | मंत्रिमण्डल अपनी नीति और कार्यो के लिए विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होता है | विधानसभा के पास मंत्रियों से उनके विभागों के संबंध में प्रश्न पूछने का अधिकार होता है | विधानसभा के द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पास करके मंत्रिमण्डल को पद से हटाया जा सकता है|

(4) संविधान संशोधन की शक्ति :- संविधान में कुछ धाराएँ ऐसी होती है जिनमे संशोधन किया जाना होता है | सविधान संशोधन के लिए संसद के विशेष बहुमत के आधार पर प्रस्ताव पारित किया जाता है और इस प्रस्ताव को आधे राज्यों के विधानमण्डलों के द्वारा स्वीकार किये जाने पर संशोधन किया जा सकता है |

(5) निर्वाचन संबंधी शक्ति :- विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों के पास राष्ट्रपति और राज्यसभा के सदस्यों के निर्वाचन में भाग लेने का अधिकार है |

Question 2. विधानपरिषद के गठन , अधिकारों और कार्यो का उल्लेख कीजिए ?
Answer :- विधानपरिषद का गठन :- संविधान में यह व्यवस्था कि गई है कि प्रत्येक राज्य में विधानपरिषद के सदस्यों की संख्या उसकी विधानसभा के सदस्यों की संख्या के 1 /3 से अधिक नहीं हो सकती और ना ही विधानपरिषद के सदस्यों की संख्या 40 से कम होंगी | विधानपरिषद की उत्पति और समाप्ति के लिए संसद में सिफारिश करने का अधिकार विधानसभा के पास होता है | विधानपरिषद के सदस्यों को निम्नलिखित लोग चुनते है

        (1) स्नातकों के निर्वाचन मण्डल के द्वारा :- यह निर्वाचन मण्डल विधानपरिषद के कुल सदस्यों के 1 /12 भाग को चुनता है |
        (2) अध्यापको के निर्वाचन मण्डल के द्वारा :- यह निर्वाचन मण्डल विधानपरिषद के कुल सदस्यों के 1 /12 भाग को चुनता है |
        (3) राज्यपाल के द्वारा मनोनीत सदस्य :- विधानपरिषद के कुल सदस्यों का 1 /6 भाग राज्यपाल के द्वारा मनोनीत किये जाते है | ये मनोनीत सदस्य साहित्य , विज्ञान , कला , सहकारिता , समाज सेवा के क्षेत्रो से आते है |

➡️ विधानपरिषद के अधिकार और कार्य :-

                                 Legislative Council's powers and functions

(1 ) कानून निर्माण संबंधी कार्य :- विधानसभा कानून निर्माण संबंधी कार्य भी करती है कानून निर्माण के लिए विधेयक विधानमण्डल के दोनों सदनों ( विधानसभा + विधानपरिषद ) में प्रस्तावित किया जा सकता है और साथ ही विधेयक दोनों सदनों के द्वारा सवीकृत किये जाने होते है विधानपरिषद किसी भी साधारण विधेयक को 4 माह तक रोकने की शक्ति रखती है |

(2) कार्यपालिका संबंधी कार्य :- विधानपरिषद कार्यपालिका पर नियंत्रण करने का कार्य भी करती है जैसे विधानपरिषद प्रश्नो , विवादों , प्रस्तावों के आधार पर मंत्रिपरिषद को नियंत्रित कर सकती है |

(3) वित्त संबंधी कार्य :- वित्त संबंधी साधारण विधेयक विधासभा और विधानपरिषद दोनों में प्रस्तावित किये जा सकते है लेकिन धन विधेयक ऐसा विधेयक है जो केवल विधानसभा में ही प्रस्तावित किया जा सकता है और फिर विधानसभा के द्वारा इसे सिफारिशों के लिए विधानपरिषद में भेजा जाता है | विधानपरिषद धन विधेयक को अपने पास 14 दिन तक रोकने का अधिकार रखती है |

Question 3. राज्य विधानमण्डल में साधारण विधेयक के पारित होने की प्रक्रिया बताइए ?
Answer :- राज्य विधानमण्डल में साधारण विधेयक के पारित होने की प्रक्रिया :-

                                 Procedure for passage of ordinary bill in state legislature

राज्य विधानमण्डल (विधानसभा + विधानपरिषद ) को कानून निर्माण की शक्ति प्राप्त है | विधानमण्डल को उन सभी विषयो पर कानून बनाने का अधिकार है जो विषय राज्य सूची और समवर्ती सूची में दिए गए है | विधानमण्डल के किसी भी सदन में साधारण विधेयक प्रस्तावित किया जा सकता है | साधारण विधेयक पर दोनों सदनों की स्वीकृति आवश्यक होती है | लेकिन दोनों सदनों में से अंतिम शक्ति विधानसभा के पास होती है |
जैसे :- अगर कभी साधारण विधेयक विधानसभा में पारित होने के बाद जब विधेयक विधानपरिषद में जाता है और विधानपरिषद विधेयक को अस्वीकार कर दे या विधेयक में कोई ऐसा संशोधन करना चाहे जो विधानसभा को स्वीकार ना हो या विधानपरिषद के पास विधेयक रखे जाने की तिथि के तीन माह के बाद भी यदि विधेयक पारित नहीं किया जाता है तो ऐसी स्थिति में विधानसभा वापस उस विधेयक को पुनः स्वीकृत करके वापस विधानपरिषद के पास भेजती है |अगर विधानसभा वापस इस विधेयक को अस्वीकार कर देती है या विधेयक रखे जाने के एक माह के बाद भी विधेयक पास नहीं करती है तो ऐसी स्थितियों में विधेयक विधानपरिषद के द्वारा पास किये बिना ही दोनों सदनों के द्वारा पास समझ लिया जाता है | इस तरह विधानपरिषद किसी भी साधारण विधेयक को अपने पास 4 महीने तक रोक सकती है विधानसभा विधेयक को रोक तो सकती है लेकिन समाप्त नहीं कर सकती है |इस तरह दोनों सदनों में से अंतिम शक्ति विधानसभा के पास होती है | दोनों सदनों के द्वारा विधेयक पास होने के बाद इसे राज्यपाल के पास भेजा जाता है | इसके बाद राज्यपाल विधेयक पर हस्ताक्षर करके उसे कानून बना देता है |

Question 4. राज्यपाल की नियुक्ति और शक्तियों की विवेचना कीजिए ?
Answer :- राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है | राज्यपाल की नियुक्ति 5 वर्ष की अवधि के लिए की जाती है लेकिन राज्यपाल अपने उत्तराधिकारी के पद ग्रहण करने तक अपने पद पर बना रह सकता है | राष्ट्रपति के द्वारा राज्यपाल को उसकी समय अवधि 5 वर्ष से पहले भी हटाया जा सकता है या किसी और राज्य में स्थानांतरण भी किया जा सकता है | राज्यपाल चाहे तो खुद भी समय से पहले अपना त्याग पत्र दे सकता है

राज्यपाल के पद की नियुक्ति के लिए योग्यताएँ :-
        (1 )वह भारत नागरिक होना चाहिए |
        (2) उसकी आयु 35 वर्ष से अधिक होनी चाहिए |

➡️ राज्यपाल की शक्तियाँ :- संविधान के द्वारा राज्यपाल को व्यापक शक्तियाँ प्रदान की गई है | राज्य में राज्यपाल की वही स्थिति होती है जो केंद्र में राष्ट्रपति की होती है |

                                 Powers of governor

(1) कार्यपालिका शक्तियाँ :- राज्य की कार्यपालिका शक्तियाँ राज्यपाल में निहित होती है | राज्य की कार्यपालिका शक्ति के अंतर्गत राज्यपाल अपनी शक्ति का प्रयोग निम्नलिखित कार्यो में करता है | राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है और राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करता है | राज्यपाल की कार्यपालिका शक्तियों में राज्य सूची में उल्लेखित विषय आते है | राज्यपाल राज्य सरकार के कार्यो के संबंध में नियमो का निर्माण करता है और मंत्रियों के बीच कार्यो का विभाजन करते है | राज्यपाल मंत्रिपरिषद के सदस्यों को पद व गोपनीयता की शपथ दिलवाता है |

(2) विधायी शक्तियाँ :- राज्यपाल को विधायी शक्तियाँ भी प्राप्त है | राज्यपाल राज्य की व्यवस्थापिका अभिन्न अंग है और विधायी क्षेत्र में उसे अनेक शक्तियाँ प्राप्त है राज्यपाल व्यवस्थापिका का अधिवेशन बुलाता है , सत्रावसान करता है और व्यवस्थापिका के निम्न सदन विधानसभा को भंग कर सकता है आम चुनावों के बाद वह विधानमण्डल की पहली बैठक को सम्बोधित करता है राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयक पर राज्यपाल की स्वीकृति आवश्यक होती है | वह विधेयक अस्वीकार कर सकता है या विधानमण्डल को पुनर्विचार के लिए लौटा भी सकता है | राज्यपाल विशेष स्थिति में अध्यादेश जारी कर सकता है |

(3) वित्तीय शक्तियाँ :- राज्यपाल को वित्तीय शक्तियाँ भी प्राप्त है | अगर राज्य विधानमण्डल में धन विधेयक प्रस्तुत करना है तो उससे पहले राज्यपाल से अनुमति लेनी आवश्यक है | राज्यपाल व्यवस्थापिका के समक्ष प्रति वर्ष बजट प्रस्तुत करवाता है | राज्यपाल की अनुमति के बिना किसी भी अनुदान की मांग नहीं की जा सकती है |राज्य की आकस्मिक निधि राज्यपाल के ही अधिकार में रहती है |

(4) न्यायिक शक्तियाँ :- राज्यपाल को न्यायिक शक्तियाँ भी प्राप्त है | फौजदारी मामलो में न्यायालय द्वारा सजा दिए गए व्यक्ति की सजा को राज्यपाल कम कर सकता है , स्थगित कर सकता है , बदल सकता है या क्षमा प्रदान कर सकता है |

(5) विविध शक्तियाँ :- उपयुक्त शक्तियॉ के अलावा राज्यपाल को अन्य विविध शक्तियाँ प्राप्त है | जैसे :- स्वविवेक की शक्ति |

Question 5. राज्य मंत्रिपरिषद के गठन और शक्तियों का वर्णन कीजिए ?
Answer :- राज्य की मंत्रिपरिषद के गठन का पहला चरण मुख्यमंत्री की नियुक्ति करना है | मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा की जाती है | राज्यपाल राज्य की विधानसभा में बहुमत दल के नेता को मुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त करता है | इसके बाद मुख्यमंत्री अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है | मुख्यमंत्री मंत्रियों के नाम और विभागों की सूचि राज्यपाल को देता है मंत्रिपरिषद में कितने सदस्य होंगे , यह निर्णय भी मुख्यमंत्री ही करता है | मंत्रिपरिषद का गठन करना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार माना जाता है | राज्यों की मंत्रिपरिषद में तीन श्रेणियाँ होती है |
        1. कैबिनेट मंत्री |
        2 . राज्य मंत्री |
        3 . उपमंत्री |

राज्य मंत्रिपरिषद की शक्तियाँ :- सविधान में राज्यपाल को शासन संबंधी जो शक्तियाँ दी गई है , व्यवहार में उन सब शक्तियों का उपयोग मंत्रिपरिषद करती है | शासन संबंधी सभी निर्णय मंत्रिपरिषद के द्वारा लिए जाते है | राज्य मंत्रिपरिषद निम्नलिखित कार्य करती है |

                                 Powers of State Council of Ministers

(1) शासन की नीति - निर्धारित करना :- मंत्रिपरिषद का सबसे महत्वपूर्ण कार्य शासन की नीति - निर्धारित करना होता है | चाहे कोई भी विभाग हो , ग्रह विभाग हो या शिक्षा , स्वास्थ्य , कृषि विभाग हो शासन की नीति - निर्धारित मंत्रिपरिषद करती है | नीती - निर्धारित करने के बाद उसे कार्य रूप में परिणित करने का काम भी मंत्रिपरिषद ही करती है

(2) उच्च पदों पर नियुक्ति के सम्बन्ध में राज्यपाल को परामर्श :- सविधान के अनुसार राज्यपाल उच्च पदों पर अधिकारियो की नियुक्ति करता है लेकिन व्यवहार में राज्यपाल के द्वारा जो नियुक्तियाँ की जाती है वो मंत्रिपरिषद के परामर्श के आधार पर की जाती है |

(3) विधानमण्डल में शासन का प्रतिनिधित्व :- मंत्रिपरिषद के मंत्रीगण विधानमंडल में शासन का प्रतिनिधित्व करते है | मंत्रीगण विधानमंडल ( विधानपरिषद + विधानसभा ) में उपस्थित होकर सदस्यों के प्रश्नो का तथा आलोचको का उतर देते है |

(4) कानून निर्माण का कार्यक्रम निश्चित करना :- विधानमण्डल में कौन -कौन से विधेयक और किस क्रम में प्रस्तुत किये जायेगे , ये तय करने का काम मंत्रिपरिषद करती है |

(5) बजट तैयार करवाना :- मंत्रिपरिषद के द्वारा निश्चित की गई नीति के आधार पर बजट तैयार करवाया जाता है| बजट को पारित करवाने का उत्तरदायित्व भी मंत्रिपरिषद का ही होता है |

Question 6. राज्य प्रशासन में मुख्यमंत्री की भूमिका की विवेचना कीजिए ?
Answer :- राज्यप्रशासन में मुख्यमंत्री की अहम भूमिका होती है | मुख्यमंत्री राज्य के प्रशासन के बहुमत दल का नेता होता है | राज्य के प्रशासन के लिए मुख्यमंत्री को निम्नलिखित कार्य और शक्तियाँ प्राप्त है |

(1) मंत्रिपरिषद का निर्माण करना :- मुख्यमंत्री का सबसे महत्वपूर्ण कार्य अपनी मंत्रिपरिषद का निर्माण करना होता है | मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों का चयन करके सूची राज्यपाल को देता है जिसे राज्यपाल स्वीकार कर लेता है | मंत्रियों के चयन में मुख्यमंत्री बहुत कुछ सिमा तक अपने विवेक का प्रयोग करता है |

(2) मंत्रियों के कार्य का बॅटवारा करना :- मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद का निर्माण करने के बाद मंत्रियों के बीच उसके कार्यो और विभागों का बॅटवारा करता है | मुख्यमंत्री के पास यह शक्ति होती है कि एक बार मंत्रियों के बीच में कार्य और विभागों का बॅटवारा करने के बाद भी मुख्यमंत्री जब चाहे तब वापस मंत्रियों के विभागों और कार्यो की स्थिति में परिवर्तन कर सकता है |

(3) मंत्रिमण्डल का कार्य - संचालन :- मुख्यमंत्री मंत्रिमण्डल के कार्य का संचालन करता है | मुख्यमंत्री मंत्रिमण्डल की बैठके बुलाता है तथा उनकी अध्यक्षता भी करता है |

(4) शासन के विभिन्न विभागों में समन्वय : - मुख्यमंत्री शासन के विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित करता है | मुख्यमंत्री इस बात पर ध्यान देता है कि मंत्रिपरिषद एक इकाई के रूप कार्य करे |

(5 ) मंत्रिपरिषद और राज्यपाल के बीच संबंध स्थापित करना :- मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद और राज्यपाल के बीच कड़ी का काम करता है | मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद के कार्यो की सुचना राज्यपाल को देता है और राज्यपाल के विचारो को मंत्रिपरिषद के पास पहुँचाता है | इस प्रकार मुख्यमंत्री दोनों के बीच कड़ी का काम करता है |

(6) विधानसभा का नेता :- मुख्यमंत्री शासन का प्रधान होता है लेकिन साथ ही वह विधानसभा का नेता भी होता है | विधानसभा का नेता होने के कारन मुख्यमंत्री को कानून निर्माण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थिति प्राप्त है और इसी कारन कुछ सिमा तक कानून निर्माण का कार्य मुख्यमंत्री की इच्छानुसार ही होता है |

Question 7. उच्च न्यायालय के संगठन और क्षेत्राधिकार को स्पष्ट कीजिए ?
Answer :- उच्च न्यायालय के संगठन :- उच्च न्यायालय न्यायमूर्ति और न्यायाधीशों से मिलकर बना होता है |जिन्हे राष्ट्रपति नियुक्त करता है | इस प्रकार उच्च न्यायालय के न्यायाधीशो की संख्या राष्ट्रपति निर्धारित करता है |

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति :- राष्ट्रपति उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश , कोलेजियम और राज्यपाल परामर्श से करता है |

उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशो की नियुक्ति :- राष्ट्रपति उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश , उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और राज्यपाल के परामर्श से करता है |

उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार :- उच्च न्यायालय के पास कुछ ऐसे क्षेत्र होते है जिनमे कार्य और निर्णय लेने की शक्ति केवल उच्च न्यायालय के पास होती है | ये क्षेत्र निम्न है -

        1. मूल / प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार
        2. याचिका
        3. अपीलीय क्षेत्राधिकार
        4. अभिलेखीय क्षेत्राधिकार

(1) मूल / प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार :- इसमें वे क्षेत्र आते है जिनमे उच्च न्यायालय द्वारा विवादों की सुनवाई होती है ये क्षेत्र निम्न है -
        1. संसद और राज्य विधानमण्डल के सदस्यों के निर्वाचन संबंधी विवाद वाले क्षेत्र
        2. राजस्व एकत्रीकरण संबंधी विवाद वाले क्षेत्र
        3. मौलिक अधिकारों व वसीयत , विवाह विधि , कम्पनी कानून तथा विवाह - विच्छेद आदि से संबंधित विवाद वाले क्षेत्र |

(2) याचिका :- अनुच्छेद 226 के अंतर्गत उच्च न्यायालय के पास याचिका जारी करने का क्षेत्राधिकार है उच्च न्यायालय बन्दी प्रत्यक्षीकरण , परमादेश , प्रतिषेध और अधिकार पृच्छा याचिका जारी कर सकता है |उच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों के साथ -साथ अन्य मामलो के लिए भी याचिका जारी कर सकता है |

(3) अपीलीय क्षेत्राधिकार :- उच्च न्यायालय के अपीलीय क्षेत्राधिकार को तीन भागो में बाँटा गया है |

        (i) सिविल अपीलीय क्षेत्राधिकार :- उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में सिविल मामले भी आते है | सिविल मामलो में जिला न्यायालय के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है |

        (ii) आपराधिक अपीलीय क्षेत्राधिकार :- उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में अपराधिक मामले भी आते है | जब किसी अपराधी को सेशन न्यायालय ने चार वर्ष का कारावास दिया हो या मृत्यु दंड दे दिया हो , तो उसके विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है |

        (iii) संवैधानिक अपीलीय क्षेत्राधिकार :- उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में संविधान से संबंधित मामले भी आते है | कोई भी ऐसा मामला जिसमे संविधान की व्याख्या का प्रश्न हो , तो उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है |

(4) अभिलेखीय क्षेत्राधिकार :- उच्च न्यायालय के पास अभिलेखीय क्षेत्राधिकार भी होता है | किसी भी मामले में जब उच्च न्यायालय के द्वारा कोई निर्णय दिया जाता है तो उसके निर्णय को साक्ष्य के रूप में रखा जाता है और ये साक्ष्य अधीनस्थ न्यायालयों के लिए कानून के रूप में काम आते है |