Wednesday, August 12, 2020

Class 10 RBSE Reproductive system in hindi

Reproduction System in Hindi

a). नर जनन तंत्र (Male reproductive system) -

Organs of Male reproductive system

1. प्राथमिक लैगिंक अंग (Primary reproductive organs )-

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👉 प्राथमिक लैगिंक अंग (Primary reproductive organs)

- प्राथमिक लैगिंक का प्रमुख अंग वृषण (Testis ) है जिसके बारे में आप नीचे पढ़ सकते है -

a. वृषण (Testis ) -
- नर जनन कोशिका शुक्राणु का निर्माण करते है |
- वृषण उदर गुहा के बाहर वृषण कोष में उपस्थित होता है | जिसके दो भाग होते है - प्रथम - शुक्राणु का निर्माण करते है | और द्वितीय - टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्त्राव करता है |

2. द्वितीयक लैगिंक अंग (Secondary reproductive organs ) -

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👉 द्वितीयक लैगिंक अंग (Secondary reproductive organs)

- द्वितीयक लैगिंक अंग के प्रमुख अंग निम् लिखित है जिन्हे आप विस्तार से पढ़ सकते है -

a. वृषण कोष (Scrotum) -
- वृषण कोष वृषण को स्थिर रखने के लिए आवश्यक है |
- यह ताप नियंत्रण यंत्र के तौर पर कार्य करता है |
- इस भाग का तापमान शरीर के अन्य अंगो से कम होता है |
b. शुक्रवाहिनी (Vas difference) -
- यह शुक्राणु को शुक्राशय (Seminal vesicles) तक पहुँचाने में सहायक होती है |
- शक्रवाहिनी मूत्रनलिका के साथ एक सयुंक्त नली बनाती है, यह नली शुक्राशय के साथ मिलकर स्खलन वाहिनी (Ejaculatory duct) बनाती है |
c. शुक्राशय (Seminal vesicles) -
- शुक्राणु संग्रहण के लिए एक थैले जैसी सरंचना होती है जिसे शुक्राशय कहा जाता है |
- यह एक तरल पदार्थ का निर्माण करता है जो वीर्ये के निर्माण में मदद करता है व शुक्राणुओं को ऊर्जा तथा गति प्रदान करता है |
d. प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate gland ) -
- यह अखरोट के आकार की एक बाह्य स्त्रावी ग्रंथि है |
- यह एक तरल पदार्थ का निर्माण व उत्सर्जन करती है जो शुक्राणुओं को गति प्रदान करती है |
e. मूत्र मार्ग (Urethera ) -
- यह एक पेशीय नलिका है जो मूत्राशय से निकलकर स्खलन से मिलकर मूत्र जनन नलिका (Urino genital canal) बनाती है जिससे मूत्र, शक्राणु, प्रोस्टेट ग्रंथि आदि स्त्राव बाहर निकलते है |
- यह नलिका शिशन (Penis) से गुजरकर मूत्रोजनन छिद्र (Urinogenital aperture) द्वारा बाहर निकलती है|
f. शिशन (Penis) -
- यह एक बेलनाकार अंग है जो शरीर के बाहर की ओर होता है |
- यह शुक्राणु को जननांग तक पहूँचाने का कार्य करता है |

b). मादा जनन तंत्र (Female reproductive system) -

Organs of Female reproductive system

1. प्राथमिक लैगिंक अंग (Primary reproductive organs )

- Dear Students यदि आपको प्राथमिक लैगिंक अंग के बारे में जानना चाहते है तो लिंक पर क्लिक करे |
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- प्राथमिक लैगिंक का प्रमुख अंग अंडाशय (Ovaries ) है जिसके बारे में आप नीचे पढ़ सकते है -
a. अंडाशय (Ovaries ) -
- अंडाशय अंडाणु व हार्मोन का निर्माण करते है |
- प्रत्येक अंडाशय में असंख्य विशिष्ट सरंचनाएँ जिन्हें अंडाशयी पुटिकाएँ (Ovarian follicles) कहा जाता है पाई जाती है |
- यह पुटिकाएँ अंडाणु का निर्माण करती है |
- अंडाशय से अंडाणु निकलकर अंडवाहिनी (Fallopian tubes) में से होकर गर्भाशय तक पहुँचता है |
- अंडाशय से स्त्रावित हार्मोन स्त्रिओं में होने वाले लैंगिक परिवर्तन, अंडाणु के निर्माण में मदद करते है |

2. द्वितीयक लैगिंक अंग (Secondary reproductive organs ) -

- Dear Students यदिआपको द्वितीयक लैगिंक अंग के बारे में जानना चाहते है तो लिंक पर क्लिक करे |
👉 द्वितीयक लैगिंक अंग (Secondary reproductive organs) - द्वितीयक लैगिंक अंग के प्रमुख अंग निम् लिखित है जिन्हे आप विस्तार से पढ़ सकते है -
a. अंड वाहिनी (Fallopian tube ) -
- यह एक लम्बा कुंडलित नलिकाकार अंग है जो गर्भाशय के दोनों ओर स्थित होता है |
- यह अंडाणुओं को अंडाशय से गर्भाशय तक पहूँचाने का कार्य करती है |
- यह 10 - 12 सेमी लम्बी है |
- यह निषेचन (अंडाणु + शुक्राणु = युग्मनज) क्रिया के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाने में मदद करती है |
b. गर्भाशय (Uterus ) -
- वह भाग जहां दोनों अण्डवाहिका मिलकर एक थैलीनुमा सरंचना बनाती है |
- गर्भाशय में शुक्राणु द्वारा निषेचित अन्ड स्थापित होकर भ्रूण का विकास करता है |
- माता और भ्रूण के मध्य स्थापित कड़ी प्लेसेंटा का रोपण भी गर्भाशय में है |
c. योनि (Vagina ) -
- यह 8 - 10 सेमी लम्बी नाल है |
- यह अंग रजोधर्म स्त्राव तथा प्रसव के मार्ग का भी कार्य करता है |
- योनि में लेक्टोबेसिलस जीवाणु पाए जाते है जो लेक्टिक अम्ल का निर्माण करते है जिसके कारण यह भाग अम्लीय होता है |


- Dear Students आपको इस पोस्ट के अलावा निम् Topics को भी पढ़ना चाहिए जिससे आप इस Topics को आसानी से समझ सके | निम् Topics को पढ़ने लिए दिए गए Link पर Click करे -

1. विटामिन क्या है और इसके प्रकार

2. मानव शरीर के तंत्र

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