मानव तंत्र [ Human System ]
Hello Students इस topic को आप बहुत ही आसान तरीके से पढ़ सकते है क्योकि इसमें आपको NOTES बनाकर मेने आपका काम बहुत ही
आसान कर दिया है | जो आपको समझने में बहुत HELP करेगा |
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- मानव शरीर की प्रणालियाँ क्या हैं? What are the systems of the human body?
✔✔ क्या आप मानव तंत्र के बारे में जानना चाहते है तो चलिए शुरू करते है-
- हमारा शरीर(Human body)प्रकति की एक अद्भुत एवं जटिल सरंचना है जो कई एकाइओ से मिलकर बना होता है जिसकी शुरुआत कई परमाणुओं, अणुओ तथा यौगिकों से होती है तथा कोशिकाएं, ऊतक,अंग एवं जटिल तंत्र मिलकर हमारे शरीर का निर्माण करते है |
- शरीर के कई अंग एक साथ मिलकर किसी एक विशिष्ट क्रिया का सम्पादन करते है तथा एक तंत्र का निर्माण करते है | उदाहरण - पाचन तंत्र , श्व्सन तंत्र आदि | ये सभी तंत्र मिलकर मानव तंत्र का निर्माण करते है |
- हमारा शरीर कई तंत्रो से मिलकर बना होता है जिसे हम निम्न चित्र द्वारा समझ सकते है -
मानव शरीर में कितने सिस्टम हैं? How many systems are there in human body?
1. पाचन तंत्र ( Digestive System ) -
भोजन में अधिकतर घटक जटिल अवस्था में होते है | इन जटिल पोषक पदार्थो को रासायनिक क्रिया, एंजाइम द्वारा सरल अणुओ में विभाजित किया जाता है|- इस प्रकिया को संम्पन्न करने के लिए अनेक अंग व ग्रंथिया सम्मिलित होती है, जिसे पाचन तंत्र कहते है | पाचन तंत्र कुछ अंग व ग्रंथियों से मिलकर बना होता है जो निम्नानुसार है -
a) अंग (Organ) -
(i) मुख ( Mouth )(ii) ग्रसनी (Pharynx )
(iii) ग्रासनली (Oesophagus )
(iv) आमाशय (Stomach )
(v) छोटी आंत (Small Intestine )
(vi) बड़ी आंत (Large Intestine )
(vii) मलद्वार (Rectum )
b) ग्रंथियाँ (Glands ) -
(i) लार ग्रंथि (Salivary Gland )(ii) यकृत ग्रंथि (Liver )
(iii) अग्नाशय (Pancreas )
- इन सभी अंगो और ग्रंथियों को पढ़ने के लिए नीचे दी गयी Link पर Click करे -
👉 अंग व ग्रंथियाँ
2. श्व्सन तंत्र (Respiratory system)-
श्व्सन तंत्र को समझने से पहले क्या आप श्व्सन के बारे में जानते है यदि नहीं तो कोई नहीं आज आप यहां आसानी से श्व्सन क्या होता है ये समझ जाएँगे तो चलिए शुरू करते है -# श्व्सन - कोशिकाओं को अपना कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यक्ता होती है ऊर्जा प्राप्त करने के लिए कोशिकाएं पोषक तत्वों का ऑक्सीजन द्वारा ऑक्सीकरण करती है |
- इस क्रिया के दौरान ATP का निर्माण होता है तथा हानिकारक CO गैस उतप्न्न होती है इस क्रिया में ऑक्सीजन शरीर में प्रवेश होती है व कार्बनडाइऑक्साइड का उतसर्जन होता है |
- गेसो के इस आदान - प्रदान की क्रिया को ही श्व्सन (Respiration ) कहा जाता है | श्व्सन दो प्रकार का होता है जो निम्नलिखित है -
a) बाह्य श्व्सन (External respiration) -
- मानव व वायुमंडल के बीच ऑक्सीजन व कार्बनडाइऑक्साइड का आदान - प्रदान अर्थात हमारे वायुमंडल व फेफड़ो के बीच होने वाली क्रिया ही बाह्य श्व्सन कहलाती है |b) आंतरिक श्व्सन (Internal respiration) -
- हमारे रक्त व कोशिका के मध्य होने वाले गैसों के विनिमय को ही आंतरिक श्व्सन कहा जाता है |👉 मानव में मुख्य रूप से श्व्सन तंत्र को तीन भागो में विभक्त किया गया है निम्नानुसार है -
a) ऊपरी श्व्सन तंत्र (Upper Respiratory system )-
(i) नासिका (Nose )(ii) मुख (Mouth )
(iii) ग्रसनी (Pharynx )
(iv) स्वर तंत्र (Larynx )
b) निचला श्व्सन तंत्र (Lower Respiratory system ) -
(i) स्वासनली (Trachea )(ii) स्वसनी (Bronchi )
(iii) स्वसनिका (Bronchiole )
(iv) फेफड़े (Lungs )
c) माँसपेशिया (Muscles ) -
(i) डायफ्राम (Diaphragm) - यह एक कोमल मांसपेशी (smooth muscle) है |
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👉 ऊपरी श्व्सन तंत्र, निचला श्व्सन तंत्र और माँसपेशिया
3. रक्त परिसंचरण तंत्र (Blood Circulatory system) -
- परिसंचरण तंत्र अनेक अंगो का संयोजन है जो शरीर की कोशिकाओं के मध्य गैसों , पचे हुए पोषक तत्वों , हार्मोन, उत्सृजी पदार्थो आदि का परिवहन करता है|- मानवो में बंद परिसंचरण तंत्र पाया जाता है जिसमे रक्त, ह्रदय तथा रक्त वाहिनियाँ सम्मिलित होते है | इसमें रक्त के आलावा लसिका द्रव भी पाया जाता है जो परिवहन के कार्य में भाग लेता है |-
a) ह्रदय (Heart ) -
b) रक्त वाहिकाएँ (Blood Vessels )
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👉 ह्रदय और रक्त वाहिकाएँ
4. उत्सर्जन तंत्र (Excretory system)
शरीर की व्यवस्था जिसमें शरीर की कोशिकाओं द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट (Waste products) को बाहर निकाला जाता है उस व्यवस्था को उत्सर्जन तंत्र कहा जाता है |- मानव अनेक क्रियाओं द्वारा अपशिष्ट पदार्थों जैसे अमोनिया, यूरिया, यूरिक अम्ल, कार्बन डाइऑक्साइड आदि का संग्रहण करता है |
- कार्बन डाइऑक्साइड(Carbon dioxide) का उत्सर्जन फेफड़ों द्वारा होता है| इन नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थ का हमारे शरीर से निकलना अत्यंत ही आवश्यक होता है | हमारे शरीर में इस नाइट्रोजनी अपशिष्ट के उत्सर्जन हेतु एक तंत्र होता जिसे उत्सर्जन तंत्र कहा जाता है |
- इस तंत्र में दो वृक्क(Kidneys), एक मूत्राशय(Bladder), दो मूत्रवाहिनियाँ(Ureters) तथा एक मूत्र मार्ग (Urethera) होता है |
- इस तंत्र में वृक्क (Kidney) मुख्य भूमिका निभाते हैं |
👉यह तंत्र निम्न भागो से मिलकर बना होता है -
a) वृक्क (Kidney ) -
b) फेफड़ा (Lungs) -
c) त्वचा (Skin)
d) यकृत (Liver)
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👉 वृक्क, फेफड़ा, त्वचा और यकृत
5. प्रजनन तंत्र (Reproductive system) -
- जनन सभी जीव धारियों में पाया जाने वाला एक अति महत्वपूर्ण तंत्र है जिसमें एक जीव अपने ही समान दूसरी संतान उत्पन्न करता है इस तंत्र को जनन तंत्र ( Reproductive System) कहा जाता है|- मानवों में द्वि लिंगी प्रजनन प्रक्रिया होती है जिसमें नर युग्मक शुक्राणुओं का निर्माण करते हैं तथा मादा युग्मक अंडाणु का निर्माण करती है |
- यह शुक्राणुओं तथा अंडाणु मिलकर निषेचन ( Fertilization )की क्रिया से युग्मनज (Zygote) का निर्माण करते हैं जो एक नए जीव का निर्माण करते हैं |
- जनन कोशिकाओं का विकास लैंगिक जनन हेतु एक विशेष अवधि मैं होता है उस अवधि को यौवनारंभ (Puberty ) कहां जाता है |
- मानव नर में टेस्टोस्टेरोन (Testosterone )तथा स्त्रियों में एस्ट्रोजन ( Estrogen )तथा प्रोजेस्ट्रोन (Progesterone) प्रमुख लिंग हार्मोन (Hormone) है |
👉 यह तंत्र दो भागो में बंटा हुआ है जो निम्नानुसार है -
a) नर जनन तंत्र (Male reproductive system) -
- नर जनन अंगों को प्राथमिक तथा द्वितीयक लैंगिक अंगों मे विभाजित किया जाता है -1. प्राथमिक लैगिंक अंग (Primary reproductive organs ) -
वे अंग जो लैंगिक कोशिकाओं या युग्मको का निर्माण करते है और हार्मोन भी बनाते है | इन अंगो को जनद कहते है जो की नर में वृषण कहलाते है | जो की नर जनन अंगो में प्राथमिक लैंगिक अंग है |➡️ वृषण (Testis )
2. द्वितीयक लैगिंक अंग (Secondary reproductive organs ) -
- प्राथमिक लैंगिक अंगो के आलावा जो भी अंग जनन तंत्र में कार्य करते है उन्हें द्वितीयक लैंगिक अंग कहा जाता है | जो की निम्न लिखित है -➡️ वृषण कोष (Scrotum)
➡️ शुक्रवाहिनी (Vas difference)
➡️ शुक्राशय (Seminal vesicles)
➡️ प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate gland)
➡️ मूत्र मार्ग (Urethera)
➡️ शिशन (पेनिस)
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👉 द्वितीयक लैगिंक अंग
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b). मादा जनन तंत्र (Female reproductive system) -
मादा जनन अंगों को भी प्राथमिक तथा द्वितीयक लैंगिक अंगों में विभाजित किया जाता है -1. प्राथमिक लैगिंक अंग (Primary reproductive organs ) -
- वे अंग जो लैंगिक कोशिकाओं या युग्मको का निर्माण करते है और हार्मोन भी बनाते है | इन अंगो को जनद कहते है जो की मादा में अंडाशय (Ovaries ) कहलाते है | यह मादा जनन अंगो में प्राथमिक लैंगिक अंग है | मादाओं में प्राथमिक लैंगिक अंग के रूप में यह एक जोड़ी पाए जाते है |➡️ अंडाशय (Ovaries )
2. द्वितीयक लैगिंक अंग (Secondary reproductive organs ) -
- नर की तरह स्त्रियों में भी प्राथमिक लैंगिक अंगो के आलावा जो भी अंग जनन तंत्र में कार्य करते है उन्हें द्वितीयक लैंगिक अंग कहा जाता है | जो की निम्न लिखित है -➡️ अंड वाहिनी (Fallopian tube )
➡️ गर्भाशय (Uterus )
➡️ योनि (Vagina )
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👉 द्वितीयक लैगिंक अंग
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6. तंत्रिका तंत्र (Nervous System ) -
- अंग तंत्रो के आपस में समन्वय के लिए हमारे शरीर में एक विशेष तंत्र कार्य करता है जिसे तंत्रिका तंत्र कहा जाता है |- हमारे शरीर में सभी कोशिकाओं के कार्यो को तंत्रिका तंत्र नियंत्रित नहीं कर सकता है इसलिए इन कार्यो को पूरा करने के लिए एक अन्य तंत्र होता है जिसे अन्त: स्त्रावी तंत्र कहा जाता है |
- तंत्रिका तंत्र को दो भागो में विभाजित किया जाता है जो निम्न अनुसार है -
a) केन्द्रिय तंत्रिका तंत्र (Central nervous system ) -
मस्तिष्क, मेरुरज्जु तथा उनसे निकलने वाली तंत्रिकाएं मिलकर केन्द्रिय तंत्रिका तंत्र का निर्माण करते है |
1. मस्तिष्क (Brain)
➡️ अग्र मस्तिष्क (Fore brain )
➡️ मध्य मस्तिष्क (Mid brain )
➡️ पश्च मस्तिष्क (Hind brain )
2. मेरुरज्जु (Spinal cord )
b). परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System) -
यह मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु निकलने वाली तंत्रिकाओं का समूह है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को जाने व वहाँ से आने वाले संदेशो को पहुंचाने का कार्य करता है | - यह तंत्र केंद्रीय तंत्र के बाहर कार्य करता है अत: इसे परिधीय तंत्र कहा जाता है | यह दो प्रकार की तंत्रिकाओं से मिलकर बना है -
1. कायिक तंत्र (Somatic Nervous System)
2. स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (Autonomous Nervous System) -
➡️ अनुकंपी (Sympathetic Nervous System)
➡️ परानुकंपी (Para - Sympathetic Nervous System)
👉 Most Important Point -
1. एंजाइम -
- ये वे प्रोटीन होते है जो उत्प्रेरक की भांति कार्य करते है तथा जैव रासायनिक क्रियाओ को सम्पन्न करने में मदद करते है अर्थात भोजन के बड़े भाग को छोटे - छोटे टुकड़ो में विभाजित करने में सहायक होते है |2. आहारनाल (Alimentary Canal ) -
- यह 8 से 10 मीटर लम्बी होती है जो सभी अंगो से मिलकर बनी होती है | इसके कुछ प्रमुख कार्य होते है जो निम्नानुसार से समझ सकते है(i) भोजन को पचाना |
(ii) भोजन को अवशोषित करना |
(iii) अपशिष्ट पदार्थ को मलद्वार तक ले जाना |
3. ग्रंथिया (Glands ) -
- यह भोजन नहीं पचाते है लेकिन भोजन को पचाने में सहायक होते है | हमारे शरीर में तीन ग्रंथि पाई जाती है जिनमे से सबसे बड़ी ग्रंथि यकृत है |4. नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थ -
नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थ तीन प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं-1. अमोनिया - अमोनिया उत्सर्जन अमोनियाउत्सर्ग (Ammonotelism ) प्रक्रिया के द्वारा संपन्न किया जाता है |अमोनिया उत्सर्जन के लिए अत्यधिक जल की आवश्यकता होती है इसलिए जल जीव इसका उपयोग करते हैं | जैसे मछलियां, जलीय कीट आदि |
2. यूरिया - मुख्य रूप से यूरिया उत्सर्जन समुद्री मछलियां, स्तनधारी आदि करते हैं इन जीवो को यूरिया उत्सर्जी (Ureotelic) कहां जाता है इसमें अमोनिया को यकृत, यूरिया में परिवर्तित करके वृक्क द्वारा उत्सर्जित करता है |
3. यूरिक अम्ल - पक्षियों, सरीसृप, कीटो आदि में अमोनिया को यूरिक अम्ल में तो है जो अत्यंत कम जल के साथ गोलीकाओ अथवा चूर्ण के रूप में उत्सर्जित किया जाता है ऐसे जीवो को यूरिक अम्ल उत्सर्जी ( Uricotelic ) कहा जाता है|
5. यौवनारंभ -
यौवनारंभ अवधि के लक्षण तो हम भलीभांति जानते ही हैं जैसे लड़कों में आवाज का भारी होना,दाढ़ी मूछ आना, आंख एवं जननांग क्षेत्र में बालों का आना, त्वचा तैलीए होना आदि |- लड़कियों में स्तन का बनाना तथा आकार में वृद्धि त्वचा का तेेलिये होना जननांग क्षेत्र में बालों का आना, रजोधर्म का शुरू होना आदि यौवनारंभ के लक्षण है |
- यौवनारंभ स्त्रियों में सामान्यतः 12-14 वर्ष की उम्र में प्रारम्भ होती है जबकि पुरुषों में प्रायः 13 -15 वर्ष की उम्र में होता है |