Sunday, August 2, 2020

Chapter - 6 (Union Government / केंद्र सरकार) Solutions for Class - 10 RBSE in hindi

( Test Book Questions + most Questions )

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Chapter 5 (democracy/लोकतंत्र) Most Questions In Hindi

Text Book Questions Solved
Very Short Questions

Question 1 .  प्रधानमंत्री को कौन नियुक्त करता है ?
Answer :-        राष्ट्रपति |

Question 2 .  राष्ट्रपति का चुनाव किस पद्धति के आधार पर होता है ?
Answer :-        एकल संक्रमणीय मत पद्धति के आधार पर |

Question 3 .  राजयसभा का पदेन सभापति कौन होता है ?
Answer :-        उपराष्ट्रपति |

Question 4 .  केन्द्रीय मंत्रिमण्डल की अध्यक्षता कौन करता है ?
Answer :-        प्रधानमंत्री |

Question 5 .  संसद के सत्रावसान में राष्ट्रपति विशेष परिस्थितियों में जो आदेश जारी करता है ,उसे क्या कहते है ?
Answer :-        अध्यादेश |

Question 6.  क्षेत्राधिकार प्राप्त है ?
Answer :-        मौलिक अधिकारों के सम्बन्ध में |

Question 7.  कम से कम कितने समय तक उच्चतम न्यायालय में वकालत कर चुके भारतीय नागरिक को उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त किया जा सकता है ?
Answer :-        10 वर्ष |

Question 8.  एक बार नियुक्त हो जाने पर उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश कितने वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकता है ?
Answer :-        65 वर्ष की आयु तक |

Question 9.   "अभिलेख न्यायालय" का क्या आशय है ?
Answer :-        अनुच्छेद 129 में सर्वोच्च न्यायालय के अभिलेख न्यायालय का प्रावधान किया गया है | "अभिलेख न्यायालय" का आशय यह है कि कभी कभी सर्वोच्च न्यायालय किसी मामले में अपना निर्णय देती है तो न्यायालय के द्वारा दिया गया ये निर्णय निचली आदालतों के लिए साक्ष्य के रूप में कार्य करता है और इसी कारण इसे "अभिलेख न्यायालय" कहते है |

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न (Very Short Question )

Question 10.  लोकसभा का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है ?
Answer :-        5 वर्ष का |

Question 11.  लोकसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या कितनी हो सकती है ?
Answer :-        552 |

Question 12 .  वर्तमान में लोकसभा के सदस्यों की संख्या कितनी है ?
Answer :-        545 |

Question 13.  राज्यसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या कितनी हो सकती है ?
Answer :-          250 |

Question 14.  वर्तमान में राज्यसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या कितनी है ?
Answer :-        245 |

Question 15.  लोकसभा के सदस्यों के लिए कितनी आयु तय की गयी है ?
Answer :-        25 वर्ष |

Question 16.  राज्यसभा के सदस्यों के लिए कितनी आयु तय की गई है ?
Answer :-        30 वर्ष |

Question 17.  राष्ट्रपति को राज्य सभा में कितने सदस्य मनोनीत करने का अधिकार है ?
Answer :-        12 सदस्य |

Question 18.  सरकार के प्रमुख अंग कौन - कौन से होते है ?
Answer :-        (1 ) व्यवस्थापिका (2 ) कार्यपालिका (3 ) न्यायपालिका

Question 19.  भारत का सवैधानिक प्रधान कोन होता है ?
Answer :-        भारत का सवैधानिक प्रधान राष्ट्रपति होता है |

Question 20.  भारत का वास्तविक प्रधान कौन होता है ?
Answer :-        भारत का वास्तविक प्रधान प्रधानमंत्री होता है |

Question 21.  भारत का सर्वोच्च न्यायालय कहा स्थित है ?
Answer :-        भारत का सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली में है |

Question 22.  संसद का निर्माण किससे मिलकर होता है ?
Answer :-        संसद का निर्माण :- राष्ट्रपति + लोकसभा + राज्य सभा से मिलकर होता है |

लघुत्तरात्मक प्रश्न (Short Questions)

Question 1.  उपराष्ट्रपति के निर्वाचन की पद्धति समझाइये ?
Answer :-      उपराष्ट्रपति के पद की व्यवस्था अनुच्छेद 63 में की गई है | उपराष्ट्रपति के निर्वाचन की पद्धति में संसद के दोनों सदन भाग लेते है | संसद = लोकसभा + राज्यसभा ( दोनों सदन )
निर्वाचन पद्धति / प्रणाली :- तीन प्रकार की होती है |
      1 ) आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली |
      2 ) एकल संक्रमणीय मत पद्धति |
      3 ) गुप्त मतदान द्वारा |

Question 2 .  राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार में कौन -सी योग्यताएँ आवश्यक है ?
Answer :-      राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार में निम्नलिखित योग्यताए होनी चाहिए :-
      1 ) भारत का नागरिक होना चाहिए |
      2 ) उमीदवार की आयु 35 वर्ष होनी चाहिए |
      3 ) उमीदवार लोकसभा का सदस्य होने की योग्यता रखता हो |

Question 3.  राष्ट्रपति को किस प्रक्रिया के आधार पर उसके पद से हटाया जा सकता है ?
Answer :-      राष्ट्रपति को महाभियोग की प्रक्रिया के आधार पर उसके पद से हटाया जा सकता है |
महाभियोग का अर्थ है :- ` सवैधानिक कदाचार की स्थिति |

महाभियोग की प्रकिया :- महाभियोग संसद के दोनों सदन लोकसभा या राज्य सभा में लाया जा सकता है | राष्ट्रपति को पहले ये बताने के लिए की उसपर महाभियोग लगाया जा रहा है की सुचना देने के लिए किसी भी सदन के 1/4 सदस्यों के द्वारा एक प्रस्ताव भेजा जाता है | प्रस्ताव भेजने के 14 दिन के बाद प्रस्ताव पर विचार करना शुरू हो जाता है | विचार करने के बाद पहले सदन के अगर 2/3 सदस्यों के द्वारा प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है तो उसके बाद प्रस्ताव को दूसरे सदन में भेजा जाता है दूसरा सदन इसकी जाँच करेगा कि महाभियोग सही है या नहीं | अगर दूसरे सदन ने भी इसे सही सिद्ध कर दिया और 2 /3 सदस्यों के द्वारा पास कर दिया तो राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है |

Question 4.  राष्ट्रपति सविधान के कौन -कौन से अनुच्छेदों के अंतर्गत आपातकाल की घोषणा कर सकता है ?
Answer :-      1 ) अनुच्छेद 352 :- राष्ट्रीय आपातकाल :- यदि कभी देश को युद्ध या बाहरी आक्रमण या आन्तरिक अशांति के कारण भारत के किसी भाग को अगर कोई खतरा हो जाये तो राष्ट्रपति के पास यह शक्ति होती है कि वह देश की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय आपातकाल लगा सकता है |

2 ) अनुच्छेद 354 :- राज्य आपातकाल :- यदि किसी राज्य की सरकार सविधान के प्रावधान के अनुसार कार्य न करे तो राष्ट्रपति के पास यह शक्ति होती है कि वह इस स्थिति में राज्य आपातकाल लगा सकती है |

Question 5.  राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के प्रत्येक सदस्य के मत का मूल्य और राज्य विधानसभा एवं संघीय क्षेत्र की विधानसभा के प्रत्येक सदस्य के मत का मूल्य किस आधार पर निर्धारित किया जाता है ?
Answer :-      राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदन लोकसभा एवं राज्य सभा दोनों भाग लेते है और विधानसभा के निर्वाचीत सदस्य भाग लेते है |

राज्य के विधानसभा के प्रत्येक सदस्य के मत का मूल्य

= ( उस राज्य की जनसंख्या/उस राज्य की विधानसभा के निर्वाचित सदस्य ) + 1000

लोकसभा और राज्य सभा के प्रत्येक सदस्य के मत का मूल्य

= ( विधासभा के सदस्यों के कुल मतो का योग / लोकसभा और राज्य सभा के निर्वाचित सदस्य )

Question 6.  उच्चतम न्यायालय के अपीलीय क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिये ?
Answer :-      उच्चतम न्यायालय अंतिम अपीलीय न्यायालय होता है | अगर कोई व्यक्ति जिला न्यायालय और उच्च न्यायालय के निर्णय से संतुष्ट नहीं होता है तो वो व्यक्ति अपने मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय जा सकता है या उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकता है |
- उच्चतम न्यायालय के अपीलीय क्षेत्राधिकार में दीवानी और फौजदारी दोनों मामलो में अपील की जा सकती है |

                              Types of Court

Question 7.  दीवानी और फौजदारी मुकदमे किस स्थिति में अपील के रूप में उच्चतम न्यायालय में सुने जा सकते है ?
Answer :-      दीवानी मुकदमे :- मूल सविधान में यह तय किया गया था कि उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय में उन्ही दीवानी मुकदमो की अपील की जाएगी जिन मुकदमो की विवादग्रस्त राशि 20,000 रुपये से अधिक होगी | लेकिन बाद में सविधान में संशोधन करके विवादग्रस्त राशि की सिमा हटा दी गई और यह तय किया गया कि दीवानी मामलो की अपील उच्चतम न्यायालय में की जाएगी |

फौजदारी मुकदमे :- निम्न मामलो में उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है |

        1 ) अगर कभी उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के किसी मामले को खुद ले लिया हो और अभियुक्त को मृत्यु दंड दे दिया हो |
        2 ) जब उच्च न्यायालय खुद यह तय कर दे कि मामला सर्वोच्च न्यायालय में अपील किया जाना चाइये |
        3 ) जब उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के किसी निर्णय को रद कर दिया हो और खुद ने अभियुक्त को मृत्यु दंड दे दिया हो जबकि निचली अदालत ने उसे अपराध मुक्त कर दिया हो |

Question 8.  उच्चतम न्यायालय को एक अभिलेख न्यायालय क्यों कहा जाता है ?
Answer :-      अनुच्छेद 129 में सर्वोच्च न्यायालय के अभिलेख न्यायालय का प्रावधान किया गया है | 'अभिलेख न्यायालय' का आशय यह है कि कभी कभी सर्वोच्च न्यायालय किसी मामले में अपना निर्णय देती है तो न्यायालय के द्वारा दिया गया ये निर्णय निचली आदालतों के लिए साक्ष्य के रूप में कार्य करता है और बाद में अन्य किसी मामले में अगर साक्ष्य की जरुरत पड़ती है तो उच्चतम न्यायालय का यह निर्णय साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जायेगा और इसी कारण इसे 'अभिलेख न्यायालय' कहते है |

Question 9.  उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश किसके द्वारा और कैसे हटाए जा सकते है ?
Answer :-      उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संसद के द्वारा , राष्ट्रपति के आदेश से हटाए जाते है | उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक अपने पद रहते है |उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को पद से हटाने के कारण - कदाचार और अयोग्यता की स्थिति में हटाया जा सकता है लेकिन न्यायाधीश को हटाने के लिए संसद के दोनों सदन लोकसभा और राज्य सभा के 2/3 सदस्यों के द्वारा पहले न्यायाधीश को हटाने के कारण को सिद्ध करना होगा |\ अगर सिद्ध कर दिया जाता है तो बाद में राष्ट्रपति के आदेश पर उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उनके पद से हटाया जा सकता है |

Question 10.  'न्यायिक पुनरवलोकन ' का महत्व स्पष्ट कीजिये ?
Answer :-      न्यायिक पुनर्वालोकन वह शक्ति है जो सर्वोच्च न्यायालय को प्राप्त है | इस शक्ति का अर्थ यह है कि सर्वोच्च न्यायालय को कानूनों की वैधानिकता की जांच करने की शक्ति प्राप्त है| यह शक्ति सर्वोच्च न्यायालय को अनुच्छेद 131 और अनुच्छेद 132 में मिलती है जिसमें सर्वोच्च न्यायालय संघीय और राज्य सरकारों द्वारा निर्मित नीतियों के पुनर्विलोकन का अधिकार देता है | अगर कभी संघीय और राज्य सरकारों द्वारा निर्मित नीतियों के कारण मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा हो तो सर्वोच्च न्यायालय उस नीति को अवैधानिक घोषित करने की शक्ति रखता है और इसी शक्ति को न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति कहा जाता है |

✡️ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न ( लघुतरात्मक प्रश्न )

Question 11.  लोकसभा के सदस्यों के लिए क्या योग्यताएँ होनी चाहिए ?
Answer :-      लोकसभा के सदस्यों के लिए योग्यताए :-
      (1) व्यक्ति भारत का नागरिक हो |
      (2) उसकी आयु 25 वर्ष हो |
      (3) भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अंतर्गत वह किसी लाभ के पद पर ना हो |
      (4) वह न्यायालय द्वारा पागल या दिवालिया न ठहराया गया हो |

Question 12.  राज्य सभा के सदस्यों के लिए क्या योग्यताएँ होनी चाहिए ?
Answer :-      राज्य सभा के सदस्यों के लिए योग्यताए :-
      (1) व्यक्ति भारत का नागरिक हो |
      (2) व्यक्ति की आयु 30 वर्ष या इससे अधिक हो |
      (3) भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अंतर्गत वह किसी लाभ के पद पर ना हो |
      (4) वह न्यायालय द्वारा पागल या दिवालिया न ठहराया गया हो |

Question 13.  सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश क्या योग्यताएँ होनी चाहिए |
Answer :-       सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की योग्यताए :-
        (1) व्यक्ति भारत का नागरिक हो |
        (2) कम से कम लगातार 5 वर्षो तक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद पर हो |
या
कम से कम लगातार 10 वर्षो तक उच्च न्यायालय में वकालत की हो |
या
कानून की दृष्टि में कानून का प्रकाण्ड विद्वान् हो |

Question 14.  व्याख्या करे कि सरकार के आभाव में राज्य की कल्पन्ना नहीं की जा सकती ?
Answer :-      सरकार के आभाव में राज्य की कल्पन्ना नहीं की जा सकती क्योकि राज्य एक भावात्मक अवधारणा है | राज्य एक अमूर्त और अदृश्य संस्था होती है और इसे मूर्त रूप प्रधान करने वाली संस्था को ही सरकार कहते है | सरकार के द्वारा ही राज्य की सामूहिक इच्छा को निर्धारित और अभिव्यक्त किया जाता है |इसलिए हम कह सकते कि सरकार ही राज्य की भावात्मक अवधारणा की अभिव्यक्ति करती है अतः सरकार के आभाव में राज्य की कल्पन्ना नहीं की जा सकती |

Question 15.  राष्ट्रीय आपातकाल को परिभाषित कीजिए ?
Answer :-       राष्ट्रीय आपातकाल :- इसका प्रावधान अनुच्छेद 352 में किया गया है|
अगर कभी देश को किसी भी संकट जैसे - युद्ध ,बाहरी आक्रमण या फिर आंतरिक अशांति का खतरा हो तो राष्ट्रपति के पास यह शक्ति होती है कि वह देश में राष्ट्रिय आपातकाल लगा सकता है | यह आपातकाल संसद की स्वीकृति के बिना 2 माह तक तो लागु रह सकता है लेकिन बाद में इसे सांसद की स्वीकृति लेनी होती है | स्वीकृति के बाद राष्ट्रपति जब तक चाहे इस आपातकाल को लागु रख सकता है | इसमें 44 वा सवैधानिक संशोधन किया गया था |जिसके बाद वर्तमान समय में इसमें निम्न प्रकार की व्यवस्था की गई है |
      (1) वर्तमान में यह आपातकाल युद्ध , बाहरी आक्रमण , सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में लगाया जा सकता है | 44 वे सवैधानिक संशोधन में आंतरिक अशांति की जगह सशस्त्र विद्रोह किया गया |
      (2) राष्ट्रपति अनुच्छेद 352 में आपातकाल लगा सकता है लेकिन राष्ट्रपति को पहले मंत्रिमंडल से परामर्श लेना होता है |
आपातकाल को लागु रखने के लिए एक माह के भीतर इसे बहुमत या 2 /3 सदस्यों की स्वीकृति लेनी होती है और हर 6 -6 माह में भी स्वीकृति लेनी होती है |
      (3 ) साधारण बहुमत से इस आपातकाल को समाप्त किया है |

निबन्धात्मक प्रश्न ( Long Question )

Question 1. भारत के राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया को विस्तार से समझाइए ?
Answer :- राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है और भारत के राष्ट्रपति का चुनाव एकल संक्रमणीय मत पद्धति के आधार पर किया जाता है |
राष्ट्रपति के चुनाव में शामिल सदस्य:-
      1) संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य :- संसद = लोकसभा + राज्यसभा
      2) राज्य विधानसभाओं तथा संघीय क्षेत्र की विधानसभा के निर्वाचित सदस्य
एकल संक्रमणीय मत पद्धति :- भारत के राष्ट्रपति का चुनाव एकल संक्रमणीय मत पद्धति के आधार पर होता है | इस पद्धति में उम्मीदवार को न्यूनतम कोटा प्राप्त करना आवश्यक होता है| न्यूनतम कोटा निर्धारित करने के लिए हमारे पास एक सूत्र है |
न्यूनतम कोटा = दिए गए वैध मतों की संख्या +1 निर्वाचित होने वाले प्रतिनिधियों की संख्या
उम्मीदवार को यह कोटा प्राप्त करना आवश्यक होता है |

Question 2. राष्ट्रपति की सामान्य काल में शक्तियों तथा अधिकारों की विवेचना कीजिए |
Answer :- राष्ट्रपति की सामान्य काल की शक्तियों तथा अधिकारों की विवेचना हम निम्न चार शक्तियों में समझ सकते है |

                               Powers of president
A ) कार्यपालिका / प्रशासनिक शक्तियाँ :- राष्ट्रपति की कार्यपालिका / प्रशासनिक शक्ति का अर्थ यह है कि सरकार के समस्त निर्णय राष्ट्रपति के माने जायेगे और देश के शासन का समस्त कार्य भी राष्ट्रपति के नाम से होगा | इसके अंतर्गत राष्ट्रपति को निम्न कार्य करने का अधिकार है |

      1 ) अधिकारियो की नियुक्ति का अधिकार :- राष्ट्रपति के पास यह शक्ति होती है कि वह भारत संघ के अनेक अधिकारियो की नियुक्ति कर सकता है | जैसे - राज्यों के राज्यपाल , न्यायालयों के न्यायाधीश महालेखा परीक्षक , लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य तथा विदेशो में राजदूत आदि |

      2 ) शासन संचालन करने का अधिकार :- राष्ट्रपति के पास शासन संचालन का अधिकार भी होता है | इसमें राष्ट्रपति के द्वारा शासन संचालन के लिए नियम बनाये जा सकते है | वह संसद के दोनों सदनों की सयुक्त बैठक बुला सकता है |

      3 ) वैदेशिक क्षेत्र में शक्ति का अधिकार :- राष्ट्रपति वैदेशिक क्षेत्र में भारत का प्रतिनिधित्व करता है |वह विदेश में अपने राजदूत नियुक्त करता है | और विदेशो में संधिया और समझौते भी राष्ट्रपति के नाम से ही किये जाते है |

      4 ) सैनिक क्षेत्र में शक्ति का अधिकार :- राष्ट्रपति भारत के समस्त सेनाओ का प्रधान सेनापति होता है |राष्ट्रपति सैनिक क्षेत्र में युद्ध और शांति के विषयो पर कानून बना सकता है और सेनाओ का प्रयोग कर सकता है | किन्तु राष्ट्रपति ये कार्य संसद की स्वीकृति के बिना नहीं कर सकताअर्थात उसे संसद की अनुमति लेनी पड़ती है |

B ) विधायी शक्तियाँ :- राष्ट्रपति संसद का अभिन अंग मन जाता है और इस कारण ही राष्ट्रपति को विधायी क्षेत्र में अनेक शक्तिया प्राप्त है | विधायी शक्तियों में निम्न अधिकार आते |

      1 ) विधायी क्षेत्र का प्रशासन :- राष्ट्रपति को विधायी क्षेत्र के प्रशासन में भी अनेक शक्तिया प्राप्त है | जैसे संसद का अधिवेशन बुलाना ,अधिवेशन समाप्ति की घोषणा करना आदि कार्य करने का अधिकार राष्ट्रपति को प्राप्त है |

      2 ) सदस्यों को मनोनीत करने की शक्ति :- राष्ट्रपति राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार रखता है | ये 12 सदस्य साहित्य , कला , विज्ञान आदि क्षेत्रो से आते है |

       3 ) विधेयक पर निषेधाधिकार का प्रयोग की शक्ति :- विधेयक का मतलब होता है कि जब कोई कानून बनाने के लिए प्रस्ताव संसद में रखा जाता है तो उसे विधेयक कहा जाता है और जब उस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता है तो वह कानून बन जाता है | विधेयक को कानून बनाने के लिए राष्ट्रपति की स्वीकृति आवशयक होती है | राष्ट्रपति के पास यह शक्ति होती है कि वह इस प्रस्ताव को पुनः विचार के लिए संसद को भेज सकते है किन्तु पुनः विचार के बाद वापस प्रस्ताव पर राष्ट्रपति को स्वीकृति देनी होती है |

      4 ) अध्यादेश जारी करने की शक्ति :- राष्ट्रपति को यह अधिकार होता है कि जब संसद का अधिवेशन न हो रहा हो तब राष्ट्रपति स्वयं अध्यादेश जारी कर सकता है |अध्यादेश का प्रभाव और शक्ति संसद के द्वारा बनाये गए कानून के समान होती है |

c ) वित्तीय शक्तियाँ :- इसमें आय और व्यय का विवरण आता है | इसमें राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में संसद के दोनों सदनों को बुलाकर उस वर्ष की आय व्यय का विवरण रखवाता है |

D ) न्यायिक शक्तियाँ :- राष्ट्रपति के पास न्यायिक शक्तिया भी होती है जिसमे उसे क्षमा दान की शक्ति प्राप्त है इसमें वह किसी भी दंड मिले व्यक्ति को क्षमा कर सकता है और दंड को कुछ समय के लिए रोक भी सकता है|

Question 3. राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों की विवेचना कीजिए ?
Answer :- राष्ट्रपति की शक्तियॉ में आपातकालीन शक्तिया भी आती है जो राष्ट्रपति को संकट की स्थिति का सामना करने के लिए प्रदान की गई है | राष्ट्रपति तीन तरह की स्थिति में आपातकालीन शक्तिया लागु कर सकता है |

                               President's emergency powers

1) राष्ट्रीय आपातकाल :- यह युद्ध ,बहरी आक्रमण या आंतरिक अशांति की स्थिति में लगाया जाने वाला आपातकाल है इसे राष्ट्रीय आपातकाल कहते है | इसका प्रावधान अनुच्छेद 352 में किया गया है | अगर कभी देश को किसी भी संकट जैसे - युद्ध ,बाहरी आक्रमण या फिर आंतरिक अशांति का खतरा हो तो राष्ट्रपति के पास यह शक्ति होती है कि वह देश में राष्ट्रिय आपातकाल लगा सकता है | यह आपातकाल संसद की स्वीकृति के बिना 2 माह तक तो लागु रह सकता है लेकिन बाद में इसे सांसद की स्वीकृति लेनी होती है | स्वीकृति के बाद राष्ट्रपति जब तक चाहे इस आपातकाल को लागु रख सकता है | इसमें 44 वा सवैधानिक संशोधन किया गया था |जिसके बाद वर्तमान समय में इसमें निम्न प्रकार की व्यवस्था की गई है |

      (i) वर्तमान में यह आपातकाल युद्ध , बाहरी आक्रमण , सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में लगाया जा सकता है | 44 वे सवैधानिक संशोधन में आंतरिक अशांति की जगह सशस्त्र विद्रोह किया गया |

      (ii) राष्ट्रपति अनुच्छेद 352 में आपातकाल लगा सकता है लेकिन राष्ट्रपति को पहले मंत्रिमंडल से परामर्श लेना होता है | आपातकाल को लागु रखने के लिए एक माह के भीतर इसे बहुमत या 2 /3 सदस्यों की स्वीकृति लेनी होती है और हर 6 -6 माह में भी स्वीकृति लेनी होती है |

      (iii) साधारण बहुमत से इस आपातकाल को समाप्त किया है |

2 ) राज्य / राष्ट्रपति आपातकाल :- राज्यों में सवैधानिक तंत्र की विफल होने की स्थिति में यह आपातकाल लगाया जाता है इसे राज्य / राष्ट्रपति आपातकाल कहते है | इसका प्रावधान अनुच्छेद 356 में किया गया है |अगर कभी राष्ट्रपति को ऐसा लगता है कि राज्य सविधान के प्रावधान के अनुसार कार्य नहीं कर रहे है और राज्य में इस कारण सवैधानिक तंत्र की विफलता की स्थिति उत्पन हो गई है तो ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति उस राज्य में संकटकाल की घोषणा कर सकता है | इस आपातकाल की घोषणा के 2 माह के बाद संसद की स्वीकृति लेनी जरुरी है और इसे लागु रखने के लिए हर 6 माह के बाद संसद के द्वारा प्रस्ताव पास करना होता है | इस आपातकाल को अधिकतम 3 साल के लिए लगाया जा सकता है |

3 ) वित्तीय आपातकाल :- वित्तीय संकट उत्पन होने की स्थिति में यह आपातकाल लगाया जाता है। इसे वित्तीय आपातकाल कहा जाता है | इसका प्रावधान अनुच्छेद 360 में किया जाता है | अगर राष्ट्रपति को ऐसा लगता है कि देश में ऐसी स्थिति उत्पन हो गई जिससे देश के वित्तीय स्थायित्व या साख को खतरा है तो ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति देश में वित्तीय संकट की घोषणा कर सकता है | इस आपातकाल को राष्ट्रपति जब तक चाहे लागु कर सकता है | इसकी कोई सिमा निर्धारित नहीं की गई है |

Question 4. मंत्रिमंडल के गठन और उसकी शक्तियों की विवेचना कीजिए ?
Answer :- मंत्रिमंडल का गठन = मंत्रिमंडल का एक प्रधान + मंत्रिमंडल के अन्य मंत्रीगण से मिलकर होता है | मंत्रिमंडल में मंत्रियो का कार्य , योग्यता ,वेतन ,भते , शपथ ग्रहण ,कार्यालय आदि से |

                               Constitution of cabinet

1 ) प्रधानमंत्री की नियुक्ति :- मंत्रिमंडल का प्रधान प्रधानमंत्री होता है | प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है और अन्य मंत्रियो की नियुक्ति ,राष्ट्रपति के द्वारा प्रधानमंत्री के परामर्श से की जाएगी |

2 ) प्रधानमंत्री द्वारा मंत्रियों का चयन :- सविधान के अनुसार राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के परामर्श से मंत्रियो की नियुक्ति करता है , लेकिन व्यवहार में राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के परामर्श को मानने के लिए बाध्य होता है | इसलिए खा जा सकता है कि प्रधानमंत्री द्वारा मंत्रियों का चयन किया जाता है |

3 ) मंत्रियो में कार्य विभाजन :- मंत्रिमंडल के गठन के बाद अब प्रधानमंत्री मंत्रियो के बीच में कार्य का विभाजन करता है |

4 ) मंत्रियो के लिए आवशयक योग्यताए :- मंत्रिपरिषद का सदस्य बनने के लिए निम्न योग्यता होनी चाहिए |

☆ व्यक्ति किसी सदन का सदस्य होना चाहिए |
अगर कोई व्यक्ति मंत्री बनते समय संसद सदस्य नहीं होता है तो उसे 6 महीने के अंदर -अंदर संसद का सदस्य बनना पड़ता है , या फिर उसे आपने पद छोड़ना पड़ता है |

5 ) मंत्रियों द्वारा शपथ ग्रहण :- मंत्रिमंडल को अथवा प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों को राष्ट्रपति के सामने अपने पद और गोपनीयता की शपथ लेनी होती है |

6 ) मंत्रिपरिषद का कार्यकाल :- मंत्रिपरिषद का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है | आमतौर पर निम्न दो स्थितिया निर्धारित की गई है |
      1 ) मंत्रिपरिषद तब तक अपने पद पर रहता है जब तक उसे लोकसभा का विश्वास प्राप्त हो |
      2 ) मंत्रिपरिषद अधिक से अधिक लोकसभा के कार्यकाल तक (5 वर्ष का ) अपने पद पर बनी रहता है

7 ) मंत्रियों के वेतन और भत्ते :- मंत्रियो को वेतन और भत्ते दिए जाने का प्रावधान है | जिनका निर्धरण समय -समय पर संसद द्वारा किया जाता है |

8) मंत्रियो की श्रेणियाँ :- मंत्रियो की तीन श्रेणियाँ होती है |
      1 ) केबिनेट मंत्री
      2 ) राज्य मंत्री
      3 ) उप मंत्री

मंत्रिमंडल की शक्तियाँ :- राष्ट्रपति को उसके कार्यो में सहायता देने और परामर्श देने का कार्य मंत्रिपरिषद करती है | मंत्रिमंडल के पास निम्न कार्य में सहायता करने और परामर्श करने की शक्ति होती है |

                               Cabinet powers

1 ) राष्ट्रीय निति निर्धारण करना :- मंत्रिमंडल के पास राष्ट्रीय निति निर्धारण करने की शक्ति प्राप्त है | मंत्रिमंडल यह निश्चित करता है कि देश के अंदर विभागों और देश के बहार विदेशो के साथ सम्बन्ध में किस प्रकार की निति अपनायी जाएगी |

2 ) कानून निर्माण पर नियंत्रण करना :- मंत्रिमंडल कानून निर्माण पर नियंत्रण करने का कार्य भी करता है |

3) कार्यपालिका पर नियंत्रण रखना :- मंत्रिमंडल में अनेक विभाग और विभागों के अध्यक्ष होते है | अध्यक्ष अपने विभागों का संचालन करते है और उनके कार्यो की देखभाल करते है , और उनके कार्यो पर नियंत्रण रखते है |

4) वित्तीय कार्य करना :- मंत्रिमंडल के पास वित्तीय कार्य करने की शक्ति होती है | मंत्रिमंडल के द्वारा प्रत्येक वर्ष संसद के सम्मुख देश के आय -व्यय का ब्यौरा प्रस्तुत किया जाता है |

5 ) वैदेशिक संबंधो का संचालन :- भारत में मंत्रिमंडल के द्वारा ही वैदेशिक संबंधो का संचालन किया जाता है |युद्ध और शांति संबंधी घोषणाएं भी मंत्रिमंडल के द्वारा ही की जाती है | विदेशो के साथ किस प्रकार का संबंध रखना है , यह भी मंत्रिमंडल ही निर्धारित करती है |

6) नियुक्ति संबंधी कार्य :- राष्ट्रपति को जिन अधिकारियो की नियुक्ति करने की शक्ति प्रधान की गई है व्यवहार में उन पदाधिकारियों की नियुक्ति मंत्रिमंडल के द्वारा की जाती है |

Question 5. उच्चतम न्यायालय के संगठन , क्षेत्राधिकार का का वर्णन कीजिए ?
या
Question 6. उच्चतम न्यायालय के संगठन तथा क्षेत्राधिकार और शक्तियों का वर्णन कीजिए ?
Answer :- उच्चतम न्यायालय का संगठन :- उच्चतम न्यायलय या सर्वोच्च न्यायालय के संगठन के लिए एक मुख्य न्यायाधीश तथा सात अन्य न्यायाधीशो की व्यवस्था की गई है | उच्चतम न्यायलय के न्यायधिशो की नियुक्ति , संख्या , क्षेत्राधिकार , वेतन , सेवा शर्ते निश्चित करने का अधिकार संसद को दिया गया है | 2008 में न्यायाधीश सहित न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाकर 31 कर दी गई | सर्वोच्च न्यायलय के न्यायाधीशो की नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति करता है | भारत के प्रमुख न्यायाधीश की नियुक्ति के सम्बन्ध में राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के वरिष्ठम न्यायाधीशों परामर्श लेता है | भारत में वर्तमान में न्यायाधीशो की नियुक्ति के लिए कोलेजियम व्यवस्था की गई है | कोलेजियम व्यवस्था :- इस व्यवस्था के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधिशो की नियुक्ति के लिए सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और चार वरिष्ठतम न्यायधिशो का एक समूह राष्ट्रपति को न्यायाधीशो के लिए नाम प्रस्तावित करते है | राष्ट्रपति इन्ही नामो में से न्यायाधीश की नियुक्ति करते है |

उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार या शक्तियाँ :- उच्च न्यायालय के पास चार क्षेत्र है जिनमे उसे कार्य करने की शक्ति प्राप्त है | इन चार क्षेत्रो को ही क्षेत्राधिकार कहते है जो निम्न है |

                               Jurisdiction or powers of High Court

1 ) प्रारंभिक क्षेत्राधिकार :- सर्वोच्च न्यायालय के प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार को निम्नलिखित दो वर्गो में रखा गया है |
(क ) प्रारंभिक एकमेव क्षेत्राधिकार (ख ) प्रारंभिक समवर्ती क्षेत्राधिकार

(क) प्रारंभिक एकमेव क्षेत्राधिकार :- इसमें वो विवाद आते है जिनकी सुनवाई केवल सर्वोच्च न्यायलय में होती है | सर्वोच्च न्यायालय के प्रारंभिक एकमेव क्षेत्राधिकार में निम्न विवाद आते है |
      ★ भारत सरकार और एक या एक से अधिक राज्यों के बिच विवाद ,
      ★ भारत सरकार ,संघ का कोई राज्य / राज्यों और एक से अधिक राज्यों के बिच विवाद ,
      ★ दो या दो से अधिक राज्यों के बीच सवैधानिक विषयो के सम्बन्ध में उत्पन विवाद |

(ख ) प्रारंभिक समवर्ती क्षेत्राधिकार :- इसमें वो विवाद आते है जिनकी सुनवाई उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय दोनों में हो सकती हैं |इसमें मौलिक अधिकारों के उललंघन से संबंधित विवाद आते है |

2 ) अपीलीय क्षेत्राधिकार :- उच्चतम न्यायालय अंतिम अपीलीय न्यायालय होता है | अगर कोई व्यक्ति जिला न्यायालय और उच्च न्यायालय के निर्णय से संतुष्ट नहीं होता है तो वो व्यक्ति अपने मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय जा सकता है या उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकता है | उच्चतम न्यायालय को उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध अपील सुनने का अधिकार है | अपीलीय क्षेत्राधिकार को निम्न चार वर्गो में विभाजित किया गया है |
(i) सवैधानिक मामले (ii) दीवानी मामले (iii) फौजदारी मामले (iv) विशिष्ट मामले

(i) सवैधानिक मामले :- सविधान के अनुच्छेद 132 के अनुसार अगर उच्च न्यायालय स्वयं यह सिद्ध कर दे कि विवाद में सविधान की व्याख्या से संबंधित कोई कानून का प्रश्न है तो उच्च न्यायालय के निर्णय की अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है |

(ii) दीवानी मामले :- मूल सविधान में यह तय किया गया था कि उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय में उन्ही दीवानी मुकदमो की अपील की जाएगी जिन मुकदमो की विवादग्रस्त राशि 20,000 रुपये से अधिक होगी | लेकिन बाद में सविधान में संशोधन करके विवादग्रस्त राशि की सिमा हटा दी गई और यह तय किया गया कि दीवानी मामलो की अपील उच्चतम न्यायालय में की जाएगी |

(iii) फौजदारी मुकदमे :- निम्न मामलो में उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में अपील की जा सकती है |

      1 ) अगर कभी उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के किसी मामले को खुद ले लिया हो और अभियुक्त को मृत्यु दंड दे दिया हो |
      2 ) जब उच्च न्यायालय खुद यह तय कर दे कि मामला सर्वोच्च न्यायालय में अपील किया जाना चाइये |
      3 ) जब उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के किसी निर्णय को रद कर दिया हो और खुद ने अभियुक्त को मृत्यु दंड दे दिया हो जबकि निचली अदालत ने उसे अपराध मुक्त कर दिया हो |

(iv) विशिष्ट मामले :- कुछ ऐसे मामले जिनमे सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप की आवश्यकता हो |जैसे अनुछेद 135 के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय को यह अधिकार दिया गया है कि वह सैनिक न्यायालय को छोड़कर अन्य किसी भी न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति दे सकता है |

3) परामर्श संबंधी क्षेत्राधिकार :- सर्वोच्च न्यायालय परामर्श देने का भी कार्य या शक्ति रखता है | अनुच्छेद 143 के अनुसार यदि कभी राष्ट्रपति को किसी विषय पर परामर्श की आवश्यकता है तो वह सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श ले सकता है

4) अभिलेखीय क्षेत्राधिकार :- अनुच्छेद 129 में सर्वोच्च न्यायालय के अभिलेख न्यायालय का प्रावधान किया गया है | 'अभिलेख न्यायालय' का आशय यह है कि कभी कभी सर्वोच्च न्यायालय किसी मामले में अपना निर्णय देती है तो न्यायालय के द्वारा दिया गया ये निर्णय निचली आदालतों के लिए साक्ष्य के रूप में कार्य करता है और बाद में अन्य किसी मामले में अगर साक्ष्य की जरुरत पड़ती है तो उच्चतम न्यायालय का यह निर्णय साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जायेगा और इसी कारण इसे 'अभिलेख न्यायालय' कहते है |