Saturday, August 1, 2020

Best Tips For उत्सर्जन तंत्र (excretory System) व नेफ्रोन(वृक्काणु) Class 10 RBSE in hindi

उत्सर्जन तंत्र (Excretory system)

Dear Students यदि आपने इससे पहले उत्सर्जन तंत्र के बारे नहीं पढ़ा है की यह क्या होता है तो आप नीचे दी link पर जाकर उसे पढ़ सकते है -

System of human body(मानव शरीर के तंत्र)

उत्सर्जन तंत्र निम्न भागो से मिलकर बना होता है -

a) वृक्क (Kidney ) -

- यह मानव का मुख्य उत्सर्जन अंग है |

- यह शरीर से लगभग 75 से 80 % तरल अपशिष्ट को बाहर निकलता है व शरीर में स्त्रावित सभी रसों का नियंत्रण भी करता है |

- इसकी आकृति सेम के दानों के समान होती है |

- वृक्क के बीच वाली सतह पर एक खाँच होती है जहाँ से मूत्र नलिका, तंत्रिकाएँ, रक्त वाहिनियाँ वृक्क में प्रवेश करती है जिसे हाइलम कहते है |

- मानव में दो वृक्क पाएँ जाते है | जिनमे प्रत्येक वृक्क के दो भाग होते है |

    1.   बाहरी वल्कुट (Cortex) |
    2.   भीतरी वल्कुट (Medula) |

- प्रत्येक वृक्क कई लाख उत्सर्जन इकाइयों से मिलकर बना होता है जिसे वृक्काणु(नेफ्रोन) कहा जाता है जो रक्त को छानने का कार्य करता है |

- वृक्काणु के बारे में पढ़ने के लिए आप इसी page के last में जाए |

b) फेफड़ा(Lungs) -

- हम जानते है की फेफड़े श्व्सन के कार्य को पूर्ण करते है लेकिन साथ - साथ यह उत्सर्जन का कार्य भी करते है |

- यह कार्बनडाइऑक्साइड व जलवाष्प का उत्सर्जन करते है |

- यह कई पदार्थो के वाष्पशील घटकों का उत्सर्जन भी करता है |

c) यकृत(Liver) -

- यह विटामिन, हॉर्मोन आदि का मल के साथ उत्सर्जन करता है |

- यह एमिनो अम्ल तथा रुधिर के अमोनिया को यूरिया में परिवर्तित करके उत्सर्जन में मुख्य भूमिका निभाता है |

- यह टूटी - फूटी रुधिर कोशिकाओं तथा हीमोग्लोबिन का विखंडन करके उन्हें रक्त प्रवाह से अलग करती है |

d) त्वचा(Skin) -

- यह नमक, यूरिया, लैक्टिक अम्ल आदि का पसीने के साथ उत्सर्जन करती है | पसीना निकलना हमारे शरीर के लिए अतिमहत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह हमारे शरीर के अपशिष्ट पदार्थो को बाहर निकलता है |

👉 Trick - इसे आसानी से समझने के लिए आप इसका चित्र जरूर देखे | जो निम् link पर आपको मिल जायेगा -

उत्सर्जन तंत्र का चित्र

नेफ्रोन(वृक्काणु) -

Parts of Nephron
Image Source - Google | Image by - rbsesolutions

नेफ्रॉन को दो भागों में बाँटा गया है -

1) बोमेन संपुट(Bowman's capsule) -

- यह नेफ्रोन के ऊपरी भाग में पाए जाने वाला कप के आकार का थैला होता है |

- बोमेन संपुट में शाखा अभिवाही धमनियों की कोशिकाओं का एक गुच्छा पाया जाता है | इन गुच्छों को ग्लोमेरुलस(Glomerulus) कहा जाता है |

2) वृक्क नलिका -

- यह बोमेन संपुट के निचले हिस्से से शुरू होने वाली नलिका है जिसका दूसरा हिस्सा मूत्र एकत्र करने वाली नलिका से जुड़ा रहता है |

- मध्य भाग में यह नलिका हेयर पिननुमा कुंडलित हेनले लूप का निर्माण करती है |

मूत्र का निर्माण -

मूत्र का निर्माण वृक्क के अनेक हिस्सों में होता है जो तीन चरणों में पूरा होता है -

  1. गुच्छीय निस्पंदन |
  2. पुन: अवशोषण |
  3. स्रवण |

➖ वृक्क में लगातार अपशिष्ट पदार्थों से युक्त रक्त बहता रहता है | यह रक्त वृक्क धमनी के द्वारा लाया जाता है | इस धमनी की शाखा नेफ्रॉन में बोमेन संपुट वाले हिस्से में जाकर कोशिकाओं के गुच्छे के रूप में परिवर्तित हो जाती है जिसे अभिवाही धमनियाँ (Afferent arteriole) कहते है |

➖ बोमन संपुट में रक्त का निस्पंदन कार्य पूरा होता है जिसमें प्रति मिनट में करीब 1000 से 1200 ml रक्त का निस्पंदन का कार्य पूरा होता है |

➖ इस भाग में रक्त में से ग्लूकोस, लवण, एमिनो अम्ल, यूरिया आदि तत्व निस्पंदित होकर बोमन संपुट में एकत्र हो जाते हैं | यह निस्पंदन वृक्क नलिका में से होकर गुजरता है जिसकी दीवारे धनाकार उपकला (Epithelium) कोशिकाओं से बनी होती है | यही कोशिकाएँ निस्पंदन में से पूर्ण ग्लूकोज़, एमिनो अम्ल, तथा अन्य उपयोगी पदार्थों का पुन: अवशोषण के लेती है |

➖पुन: अवशोषण के बाद इन पदार्थों को रक्त प्रवाह में एक बार फिर भेज दिया जाता है | जिसके कारण 99% निस्पंदन वृक्क नलिकाओं द्वारा पुन: अवशोषित कर लिया जाता है |

➖ पुन: अवशोषण के बाद रक्त को अपवाही धमनिका (Efferent arteriole) नेफ्रॉन के द्वारा इकट्ठा करती है |

➖ पुन: अवशोषण वाले पदार्थों में यूरिया जैसे अपशिष्ट पदार्थ होते है जो मूत्र का निर्माण करते है | यह मूत्र नेफ्रॉन से वृक्क नलिका में ले जाया जाता है जहाँ से मूत्र मूत्रनली में प्रवेश करता है |

➖ प्रत्येक वृक्क में से एक मूत्रनली मूत्राशय में खुलती है |

➖ मूत्राशय वह अंग है जहाँ मूत्र को इकट्ठा किया जाता है जैसे - जैसे मूत्र ज्यादा होता रहता है वैसे - वैसे मूत्राशय का आकार बड़ा होता रहता है | पर्याप्त मूत्र जमा होने पर यह संदेश केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्राप्त होता है | जिसके कारण मूत्राशय की पेशियों का संकुचन होता है तथा मूत्राशयी अवरोधिनी में शिथिलन पैदा होती है | इससे मूत्र का उत्सर्जन होता है |

➖मूत्र को सम्पन्न करने वाली तंत्रिका को मूत्रण प्रतिवर्त कहा जाता है |

Dear Students यदि आपको निम् topics के बारे में जानना हो तो link पर click करे -

     1.    Vitamin(विटामिन )

     2.   System of human body(मानव शरीर के तंत्र)

     3.   Digestive system organs and glands(पाचन तंत्र के अंग व ग्रंथियाँ)

     4.   श्व्सन तंत्र के भाग

     5.   रक्त परिसंचरण तंत्र